नई दिल्ली. संसद के शीतकालीन सत्र का 10वां दिन विपक्षी और सत्ता पक्ष के बीच तीखे टकराव का गवाह बना। बांग्लादेश हिंसा समेत कई अन्य मुद्दों पर संसद में हंगामा जारी है। इस बीच विपक्षी गठबंधन इंडिया ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर ली है। कांग्रेस के नेतृत्व में इस प्रस्ताव को समाजवादी पार्टी (सपा) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का समर्थन प्राप्त है।
सोमवार को राज्यसभा में जॉर्ज सोरोस के मुद्दे पर तीखी बहस हुई, जिसमें विपक्ष ने सभापति की कार्यशैली और फैसलों पर नाराजगी जाहिर की। कांग्रेस नेताओं दिग्विजय सिंह और राजीव शुक्ला ने सभापति पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए सवाल उठाया कि चर्चा किस नियम के तहत शुरू की गई और भाजपा सदस्यों को बार-बार बोलने का मौका क्यों दिया गया। विपक्षी दलों का कहना है कि सभापति धनखड़ का रवैया निष्पक्ष नहीं है और वे सत्ता पक्ष का समर्थन कर रहे हैं। इसी वजह से उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की जरूरत महसूस हुई।
राज्यसभा में सभापति को हटाने के लिए कम से कम 50 सदस्यों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है। विपक्षी दलों के अनुसार, अब तक 70 सांसदों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। कांग्रेस, सपा और टीएमसी जैसे प्रमुख दल इस प्रस्ताव के समर्थन में हैं।
टीएमसी और सपा, जो हाल के दिनों में विपक्षी गतिविधियों से दूर नजर आ रहे थे, ने भी इस प्रस्ताव पर समर्थन जताया है। विपक्ष का कहना है कि यह कदम लोकतंत्र और राज्यसभा की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए उठाया गया है। अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष का यह राजनीतिक कदम संसद की कार्यवाही और राज्यसभा की गरिमा को लेकर एक बड़े मुद्दे के रूप में उभर रहा है। अब देखना यह होगा कि इस प्रस्ताव पर आगे क्या रुख अपनाया जाता है।
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