अभिमनोज
सुप्रीम कोर्ट ने पारिवारिक विवाद के एक मामले में मंगलवार को आदेश दिया कि- पति अपनी पत्नी और बच्चों को 5 करोड़ रुपए का गुजारा-भत्ता फाइनल सेटलमेंट के तौर पर दे.
खबरों की मानें तो.... अदालत ने यह फैसला सुनाते समय कहा कि- पत्नी बेरोजगार है, वह घर का कामकाज करती है, जबकि पति विदेशी बैंक में प्रबंधन के पद पर है, जिसे हर महीना करीब 10-12 लाख रुपए मिलते हैं, ऐसे में हम यह विवाह-विच्छेद करते समय पांच करोड़ की रकम पर्मानेंट सेटलमेंट के तौर पर तय करते हैं, जो उचित है.
अदालत का यह स्पष्ट कहना है कि- गुजारा भत्ता देने का उद्देश्य यह नहीं है कि पति को सजा दी जाए, वरन हम यह चाहते हैं कि पत्नी और बच्चे सम्मानित तरीके से जीवन गुजार सकें.
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी की बेंच ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं के मद्देनजर यह फैसला दिया कि.... पत्नी-बच्चों की बुनियादी जरूरतें क्या हैं, पति-पत्नी की सामाजिक और आर्थिक हैसियत कैसी है, दोनों पक्षों की योग्यता और नियमित आय की स्थिति क्या है, पति की कमाई और आर्थिक हैसियत कैसी है आदि!