पास दरिया है फिर भी प्यास है. जैसे दरिया के पास भरपूर मात्रा में पानी है फिर भी प्यास नहीं भुझा पता वैसे ही केतु दरिया है समंदर है किंतु संतुष्टि नहीं है. लोगों को लगता है ये बहुत सुखी है, धनी है, किंतु अंदर से इंसान खोखला होगा . सुखी दिखने वाला अंदर से भर वक्त तड़प महसूस करेगा. आइए जानते है भाव द्वारा कैसी तड़प होगी.केतु हर भाव में.
प्रथम भाव: अस्तित्व की तड़प सब कुछ होते हुए भी इंसान को लगेगा कुछ कमी है मेरे व्यक्तित्व में . अंदर ही अंदर दूसरों का व्यक्तित्व देख एक कमी बनी रहती है.
दूसरे भाव: फैमिली होते हुए भी अकेलेपन का एहसास या पढ़ाई के लिए या कोई ऐसे कारण से कुटुंब से दूर, धन खूब होगा किंतु बचा नही पाना, ज्ञान खूब होगा किंतु वाणी का उपयोग करने से डर.
तृतीय भाव: लिखने में माइंड का उपयोग करने में रूकावटे, साहस से भरपूर जिगर किंतु कोई अनजान भय के कारण पराक्रम नही कर पाएंगे.
चतुर्थ भाव: माता से खूब प्रेम किंतु माता के प्रेम के लिए हमेशा तड़पना पड़ेगा. मजबूरी से जन्मभूमि एवं जननी से दूर जाना पड़ेगा.
पंचम भाव: जितना लगाव ज्यादा उतनी तड़प ज्यादा चाहे वो संतान हो या प्रेमी या मनपसंद विद्या का क्षेत्र.
षष्ठ भाव: मनपसंद नौकरी होगी व्यवसाय का क्षेत्र भी होगा किंतु प्रतिस्पर्धा की भावना के कारण जो भी सिचुएशन है उसमे संतुष्टि नहीं होगी.
सप्तम भाव: वैवाहिक जीवन में सर्वगुण संपन्न जीवनसाथी होने पर भी कोई न कोई कमी हमेशा खलेगी. प्यार की तड़प मनचाही व्यक्ति की तड़प जीवनपर्यंत रहेगी.
अष्टम भाव: कितने भी आध्यात्मिक हो किंतु भगवान रूठ न जाए ये भय बना रहेगा. ससुराल कितना अच्छा क्यू ना हो परंतु उससे संतुष्टि नहीं मिलेगी न आपसे ससुराल खुश रह पाएगा. काम मेहनत ज्यादा पैसे की आस बनी रहती है.
नवम भाव: भाग्य से हमेशा शिकायत सब कुछ भाग्य देगा फिर भ् दूर दूर की यात्रा करने की चाह बनी रहेगी. देश घूम लिए तो दुनिया घूमने की चाह दुनिया घूमे तो भी कुछ बाकी रह गया जैसी परिस्थिति.
दशम भाव: कितने भी अवार्ड मिल जाए एक और मिलता तो अच्छा था, उससे ज्यादा मेरा काम चलता तो अच्छा था, काश मेरे कर्म मेरे पसंद के होते ! व्यापार खुशी से करता यह तो करना पड़ रहा है जैसी परिस्थिति.
ग्यारहवां भाव: पूरी दुनिया जहां की खुशी मिल जाए , पैसे मिल जाए फिर भी कुछ बाकी रह गया . मेरे पास जितनी काबिलियत है उसके सामने मुझे कुछ भी हासिल नहीं हो पाया. समाज को मैने सबकुछ दिया फिर भी मेरी कदर न की दुनिया ने ये वाला हाल होगा.
बारहवां भाव: अनजान डर बीमार हो जाऊंगा, जल्दी मृत्यु आयेगी चल जल्दी जल्दी पैसे कमा ले खर्च न करे बचाकर रखे, भगवान से डर कल को उसीके पास जाना है . यही डर से जीवन के प्रति मोह कम कर लेते है , मोक्ष की तरफ अग्रसर होते है.