अभिमनोज
सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान एक पत्नी द्वारा अपने पति से गुजारा भत्ता के रूप में 500 करोड़ रुपये दिलाने की मांग की गई, जिसे दरकिनार करते हुए पति को 12 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया, इस दौरान पति ने सभी दावों को खत्म करने के लिए आठ करोड़ रुपये के भुगतान पर सहमति भी जताई.
खबरों की मानें तो.... न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने एक-दूसरे से अलग रह रहे जोड़े के विवाह को भंग कर दिया और कहा कि अब इसमें इतनी दरार आ गई है, जिसे भरा नहीं जा सकता है.
इस मामले में पत्नी का कहना था कि- भारत सहित अमेरिका में अनेक बिजनेस करनेवाले उसके पति की कुल परिसंपत्ति लगभग 5000 करोड़ रुपये है, यही नहीं, इससे पहलेवाली पत्नी से अलगाव होने पर 500 करोड़ रुपये का भुगतान किया था, लिहाजा उसे भी उतनी ही रकम दी जाए.
खबरों पर भरोसा करें तो.... इस पर अदालत का कहना है कि- अक्सर देखा गया है कि गुजारा भत्ता के लिए आवेदन के समय जीवनसाथी की संपत्ति, स्थिति और आय बताई जाती है और ऐसी रकम मांग ली जाती है जो उसकी संपत्ति के बराबर हो, इसमें विसंगति है, क्योंकि दुर्भाग्य से अलगाव के बाद पति कंगाल हो जाता है, तब भी क्या पत्नी संपत्ति में बराबरी की मांग के लिए तैयार होगी?
अदालत का मानना है कि.... गुजारा भत्ता कई चीजों पर निर्भर करता है, इसलिए इसका कोई सीधा नियम नहीं हो सकता है.
अदालत ने कहा कि- इससे पहले पुणे की अदालत ने 10 करोड़ रुपये गुजारा भत्ता का आकलन किया था, जिसे स्वीकार किया जाता है और दो करोड़ रुपये पत्नी को एक फ्लैट खरीदने के लिए अलग से दिए जाएं!
सुप्रीम कोर्ट ने दिलाए 12 करोड़ रुपये, पत्नी ने मांगा था 500 करोड़ गुजारा भत्ता!
प्रेषित समय :19:26:00 PM / Fri, Dec 20th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर