MP: आरटीओ का पूर्व आरक्षक रहता था 7 करोड़ रुपए के बंगले में, दीपावली पर रिश्तेदारों से लेकर दोस्तो को बांटे एलईडी टीवी

MP: आरटीओ का पूर्व आरक्षक रहता था 7 करोड़ रुपए के बंगले में

प्रेषित समय :19:53:46 PM / Sun, Dec 22nd, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पलपल संवाददाता, भोपाल. आरटीओ विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के ठिकानों से अब तक लोकायुक्त व आयकर विभाग की टीम ने 7.98 करोड़ रुपए की संपत्ति बरामद की है. सौरभ के भोपाल स्थित शाहपुरा में जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी खोलने वाला था. इसमें चेतन सिंह गौर भी साझेदार है. चेतन के नाम से रजिस्टर्ड कार में ही आयकर विभाग को 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए नकद मिला था.

सौरभ की मां उमा शर्मा ने अधिकारियों को पूछताछ में बताया कि वह स्कूल की फ्रेंचाइजी के सिलसिले में मुंबई गया है. हालांकिए जांच के दौरान उसके दुबई में होने का पता चला है. लोकायुक्त की रेड के दौरान सौरभ के ठिकाने से चांदी की 200 सिल्लियां भी मिली है. जो उसने अपने ऑफिस में जमीन के अंदर गाड़ रखी थी. दोनों विभाग के अधिकारियों द्वारा दी गई दबिश में सौरभ के ठिकानों से एक कार सहित घर का सामान करीब 2.21 करोड़ रुपए का, सोने व हीरे के जेवरात 50 लाख रुपए, नकद राशि 1.15 करोड़ रुपए, कुल बरामदगी 3.86 करोड़ रुपए.

लोकायुक्त की टीम ने चेतन सिंह गौर के मकान से कुल 30 लाख रुपए का घरेलू सामान बरामद किया. इसमें बेड, टीवी, फ्रिज, पर्दे, कपड़े व इंटीरियर आइटम्स शामिल हैं. नकद राशि 1.72 करोड़ रुपए, चांदी 234 किलो कीमत 21 लाख रुपए, कुल बरामदगी 4.12 करोड़ रुपए. खबर है कि सौरभ वर्तमान में अरेरा कॉलोनी स्थित वह बंगले में रहता है उसने यह बंगला 2015 में सवा दो करोड़ रुपए में खरीदा था. हालांकि सौरभ इसे अपने बहनोई का बंगला बताता है. बंगले की वर्तमान कीमत लगभग 7 करोड़ रुपए है.

सूत्रों के मुताबिक नौकरी करते समय खरीदा गया ये बंगला सौरभ ने किसी अन्य के नाम से खरीदा था. लोकायुक्त टीम को जयपुरिया स्कूल की बन रही बिल्डिंग से 40 पेटी पैक एलईडी टीवी मिलीं. सभी 43 इंच की हैं. खबर है कि सौरभ शर्मा ने दिवाली के दौरान सैकड़ों टीवी अपने संबंधियों को गिफ्ट के तौर पर बांटी थीं. बाकी टीवी उसने स्कूल की इमारत में छिपाकर रखी थीं. आयकर विभाग की टीम को मेंडोरी के जंगल में इनोवा कार से 52 किलो सोना व 11 करोड़ रुपए कैश मिले थे.

इस कार के साथ चेतन का एक फोटो भी सामने आया है. चेतन ने यह भी बताया कि वे दोनों पुराने परिचित थे और उसे काम की जरूरत थी. इसी कारण उसने सौरभ से कभी कोई सवाल नहीं किया. चेतन के अनुसार सौरभ ने इसी भरोसे का फायदा उठाकर उसके दस्तावेजों का इस्तेमाल किया. चेतन ने कहा कि सौरभ ने उसके नाम से कार खरीद ली. चेतन के दस्तावेजों पर पेट्रोल पंप का आवंटन करा लिया. इसके अलावा भी कई संपत्तियां चेतन के नाम से खरीदीं.

सौरभ शर्मा आरक्षक से बिल्डर बना-

परिवहन विभाग में पदस्थ सीनियर अधिकारियों का कहना है कि सौरभ के पिता स्वास्थ्य विभाग में थे. साल 2016 में उनकी अचानक मृत्यु के बाद उनकी जगह अनुकंपा नियुक्ति के लिए सौरभ की तरफ से आवेदन दिया गया. स्वास्थ्य विभाग ने स्पेशल नोटशीट लिखी कि उनके यहां कोई पद खाली नहीं है. अक्टूबर 2016 में कॉन्स्टेबल के पद पर भर्ती सौरभ की पहली पोस्टिंग ग्वालियर परिवहन विभाग में हुई. मूल रूप से ग्वालियर के साधारण परिवार से संबंध रखने वाले सौरभ का जीवन कुछ ही वर्षों में पूरी तरह बदल गया. नौकरी के दौरान ही उसका रहन-सहन काफी आलीशान हो गया था. जिससे उसके खिलाफ शिकायतें विभाग और अन्य जगहों पर होने लगीं. कार्रवाई से बचने के लिए सौरभ ने वॉलंटरी रिटायरमेंट स्कीम के तहत सेवानिवृति ले ली. इसके बाद उसने भोपाल के नामी बिल्डरों के साथ मिलकर प्रॉपर्टी में बड़े पैमाने पर निवेश करना शुरू कर दिया.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-