सुप्रीम कोर्ट : किसी संपत्ति के समझौता डिक्री के लिए स्टाम्प ड्यूटी की जरूरत नहीं है!

सुप्रीम कोर्ट : किसी संपत्ति के समझौता डिक्री के लिए स्टाम्प ड्यूटी की जरूरत नहीं है!

प्रेषित समय :20:29:47 PM / Tue, Dec 24th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अभिमनोज
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि- किसी व्यक्ति को संपत्ति पर पहले से ही मौजूद अधिकारों की पुष्टि करने वाला समझौता डिक्री के लिए पंजीकरण अधिनियम 1908 के तहत पंजीकृत करना आवश्यक नहीं है.
खबरों की मानें तो.... अदालत का कहना है कि- इस तरह के मामले में भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 के तहत कोई स्टाम्प ड्यूटी नहीं लगाई जाएगी, क्योंकि यह कोई नया अधिकार नहीं बनाती है.
अदालत का कहना है कि- यदि किसी व्यक्ति के पास पहले से ही किसी संपत्ति का अधिकार है और वह समझौता डिक्री के माध्यम से इसे हासिल करता है, तो उसे पंजीकरण की जरूरत नहीं है और न ही उसे स्टाम्प ड्यूटी की आवश्यकता है.
खबरें हैं कि.... सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय मुकेश बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य (केस नंबर 14808/2024) के मामले में दिया है, जिसकी सुनवाई जस्टिस जेबी परदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ एमपी हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर कर रही थी.
खबरें यह भी है कि.... हाईकोर्ट के फैसले में कलेक्टर ऑफ़ स्टैम्प्स के निर्णय को जारी रखा गया था, जिसमें अपीलकर्ता की ओर से समझौता कार्यवाही में संपत्ति को हासिल करने के लिए 6 लाख 67 हजार 500 रुपये की स्टाम्प शुल्क निर्धारित की गई थी, जबकि इसमें उस व्यक्ति के पास पहले से अधिकार मौजूद थे.
खबरों पर भरोसा करें तो.... यह मामला मध्यप्रदेश के धार जिले के खेड़ा गांव में एक जमीन के हिस्से के लिए स्टाम्प ड्यूटी के भुगतान से संबंधित है, अपीलकर्ता मुकेश ने जमीन को एक सिविल मुकदमे में समझौता डिक्री के जरिए अधिग्रहित किया था, अपीलकर्ता ने इसके बाद एक सिविल कोर्ट में जमीन पर स्थायी निषेधाज्ञा की मांग करते हुए मुकदमा दायर किया, जिस पर राष्ट्रीय लोक अदालत ने समझौता डिक्री के माध्यम से मुकदमे का समाधान किया था.
इस मामले को लेकर हाईकोर्ट के फैसले में कलेक्टर ऑफ़ स्टैम्प्स के फैसले को बरकरार रखा गया था, जिसमें अपीलकर्ता द्वारा समझौता कार्यवाही में संपत्ति को हासिल करने के लिए 6 लाख 67 हजार 500 रुपये की स्टाम्प शुल्क निर्धारित की गई थी.
राजस्व बोर्ड और हाईकोर्ट ने भी समझौता डिक्री पर स्टाम्प ड्यूटी लगाने के फैसले को बरकरार रखा, लेकिन.... सुप्रीम कोर्ट ने फैसला पलट दिया और कहा कि- हाईकोर्ट ने समझौता डिक्री के माध्यम से अर्जित संपत्ति पर स्टाम्प शुल्क लगाने के कलेक्टर ऑफ़ स्टैम्प्स के निर्णय का समर्थन करने में गलती की है, क्योंकि डिक्री ने केवल पहले से मौजूद अधिकारों की पुष्टि की है और संपत्ति में कोई नया अधिकार नहीं बनाया है!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-