जातिगत गालियों पर सुप्रीम कोर्ट- बंद कमरे की घटना एससी, एसटी एक्ट के तहत दर्ज नहीं हो सकती, मामला रद्द!

जातिगत गालियों पर सुप्रीम कोर्ट- बंद कमरे की घटना एससी

प्रेषित समय :19:44:01 PM / Sat, Feb 1st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अभिमनोज
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच का कहना है कि- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(आर) के अनुसार, किसी अपराध के घटित होने के लिए यह स्थापित होना जरूरी है कि- आरोपित ने अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य को किसी स्थान पर लोगों के बीच बेइज्जत करने के इरादे से जानबूझकर अपमानित किया या धमकाया हो.

खबरों की मानें तो.... ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि- क्योंकि घटना ऐसी जगह पर नहीं हुई है जिसे लोगों की मौजूदगी वाला स्थान कहा जा सकता हो, इसलिए अपराध एससी-एसटी अधिनियम की धारा के तहत नहीं आएगा.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एससी, एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामला रद्द कर दिया.

अदालत का कहना है कि- अधिनियम की धारा 3(1)(एस) के तहत अपराध स्थापित करने के लिए, यह जरूरी होगा कि आरोपित ने किसी ऐसे स्थान पर लोगों के बीच अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी भी सदस्य को जाति सूचक गाली दी हो, लिहाजा क्योंकि घटना ऐसी जगह पर नहीं हुई है जिसे लोगों की मौजूदगी वाला स्थान कहा जा सकता हो, इसलिए अपराध एससी-एसटी अधिनियम की धारा 3(1)(आर) या धारा 3(1)(एस) के प्रावधानों के तहत नहीं आएगा.’

अदालत ने कहा कि- यदि कथित अपराध बंद कमरे में हुआ, जहां आम लोग मौजूद नहीं थे, तो यह नहीं कहा जा सकता कि यह लोगों के बीच हुआ और अपील स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया, यही नहीं, इससे संबंधित कार्यवाही के अलावा आरोप-पत्र को भी रद्द कर दिया!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-