पलपल संवाददाता, इंदौर. मध्यप्रदेश के इंदौर में BRTS को हटाए जाने का रास्ता अब साफ हो गया है. जबलपुर हाईकोर्ट ने इसे लेकर फैसला सुना दिया है, हालांकि अभी फैसले की कापी सामने नहीं आई है. गौरतलब है कि तीन माह पहले इंदौर पहुंचे मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि इससे लोगों को दिक्कत हो रही है, इसलिए हटाया जाएगा. हम न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखेगें.
इंदौर में निरंजनपुर से राजीव गांधी प्रतिमा तक करीब 11.5 किलोमीटर लंबा बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (BRTS) बना हुआ है. इसे लेकर दो जनहित याचिकाएं हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में लगी थी. याचिकाओं को हाईकोर्ट की मुख्य पीठ (जबलपुर) ट्रांसफर कर दिया गया था. आज जबलपुर हाईकोर्ट ने इंदौर BRTS को हटाने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट ने मौजूदा परिस्थितियों में BRTS प्रोजेक्ट की उपयोगिता व व्यवहारिकता की जांच के लिए 5 सदस्यों की कमेटी बनाने के निर्देश दिए थे.
जिसमें सीनियर वकील अमित अग्रवाल के साथ ही IIM व IIT के डायरेक्टर की ओर से नॉमिनेट एक्सपर्ट्स शामिल थे. गौरतलब है कि इंदौर के BRTS पर अभी कुल 49 बसें चल रही हैं. इनमें 29 बस CNG हैं बाकी डीजल हैं. डीजल की 20 बस को इलेक्ट्रिक बस से बदल दिया जाएगा. इसके अलावा 10 नई बसें भी चलाई जाएगी.
इससे ओवर लोडिंग की समस्या कम होगी. इस मामले में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इस बारे में कहा कि याचिका में दोनों ही पक्ष BRTS हटाने पर सहमत थे इसलिए कानूनी अड़चन नहीं आई. BRTS के हटने से शहर के ट्रैफिक में अलग सुगमता आएगी और ब्रिज भी बन सकेंगे. BRTS के हटने से सड़क चौड़ी हो जाएगी. शुक्रवार से बस लेन हटाने का काम शुरू हो जाएगा. AICTLS के अधिकारियों का कहना है कि डीजल बस को रिप्लेस करने का मकसद इंदौर BRTS को ग्रीन कॉरिडोर बनाना है.
नई बस आने के बाद यहां चलने वाली बसों की कुल संख्या 49 से बढ़कर 59 हो जाएगी. अभी बस का राजीव गांधी डिपो के अंदर ही चार्जिंगए कैपेसिटी व कंफर्ट सहित अन्य पॉइंट पर ट्रायल किया जा रहा है. AICTSL के अफसरों की मानें तो औसतन 55 से 65 हजार यात्री इसमें रोजाना यात्रा करते हैं. इन बसों में सफर करने वाले यात्रियों में बड़ा वर्ग स्टूडेंट्स का भी है.
एक साल पहले भोपाल से बीआरटीएस हटाया गया-
राजधानी भोपाल के डेवलपमेंट को लेकर मुख्यमंत्री डॉण् मोहन यादव ने एक साल पहले वीआईपी रोड के चौड़ीकरण और BRTS कॉरिडोर को लेकर मंत्रीए विधायक समेत अफसरों से चर्चा की थी. मंत्री.विधायकों ने BRTS कॉरिडोर को हटाने की भी बात कही थी. इसके बाद इसे हटाने पर सहमति बनी. इस प्रोजेक्ट पर 13 साल पहले 360 करोड़ रुपए खर्च हुए थे.