नई दिल्ली. देशभर में अभी गर्मी ठीक से पडऩी शुरू भी नहीं हुई, लेकिन इसे लेकर अभी से चिंताएं बढऩे लगी है. भारत के टॉप ग्रिड ऑपरेटर ने मई-जून को लेकर चिंतित करने वाली भविष्यवाणी की है. ग्रिड ऑपरेटर ने चेतावनी दी है कि इन दो महीनों में बिजली की भारी किल्लत का सामना करना पड़ सकता है.
नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर (एनएलडीसी) की रिपोर्ट के अनुसार, विशेष रूप से गैर-सौर घंटों (नॉन-सोलर ऑवर्स) में बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच 15-20 गीगावॉट की कमी हो सकती है. ऐसे में अगर अभी से एहतियाती कदम नहीं उठाए गए तो भारी लोड शेडिंग करना पड़ सकता है.
इंडियन एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि इस साल मई का महीना सबसे ज्यादा मुश्किल महीना साबित होगा. वहीं इसके बाद के महीनों में भी बिजली की भारी मांग बनी रहेगी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन महीनों में बिजली की मांग चरम पर पहुंचने और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में संभावित उतार-चढ़ाव के कारण सिस्टम की कमजोरियां बढ़ सकती हैं.
सुबह-शाम ज्यादा किल्लत
ग्रिड पर दबाव कम करने के लिए रिपोर्ट में डिमांड साइड मैनेजमेंट अपनाने की सलाह दी गई है, जिसमें औद्योगिक और वाणिज्यिक इकाइयों को बिजली उपयोग को गैर-पीक घंटों में स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है.
सौर ऊर्जा उत्पादन दिन के समय मांग को पूरा करने में मदद करता है, लेकिन इसकी अस्थिरता के कारण शाम और सुबह के समय बिजली आपूर्ति में कमी हो सकती है. वहीं, भारत की बेसलोड बिजली उत्पादन क्षमता, जो मुख्य रूप से कोयला आधारित संयंत्रों पर निर्भर है, पिछले कुछ वर्षों से स्थिर बनी हुई है, जिससे गैर-सौर घंटों में बिजली की मांग पूरी करने में कठिनाई हो रही है.
बिजली संकट की गंभीरता
रिपोर्ट के अनुसार, मई 2025 में लोड लॉस प्रायबिलिटी (एलओएलपी) यानी मांग के मुकाबले बिजली आपूर्ति कम रहने की संभावना 19 प्रतिशत है, जबकि औसत स्थिति में यह बढ़कर 31 प्रतिशत तक पहुंच सकती है. जून में भी यह जोखिम 4.7 प्रतिशत से 20.1 प्रतिशत तक हो सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है, बिजली की अनुपलब्धता मुख्य रूप से मई और जुलाई 2025 में देखी जाएगी, जो अक्सर 15 गीगावॉट से अधिक हो सकती है. यह कमी खासतौर पर गैर-सौर घंटों में होने की संभावना है, क्योंकि सौर ऊर्जा के समय ग्रिड को पर्याप्त आपूर्ति मिलती है.
बिजली भंडारण समाधान जरूरी
इस संकट से निपटने के लिए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने 18 फरवरी को एक महत्वपूर्ण परामर्श जारी किया है, जिसमें सौर ऊर्जा संयंत्रों के साथ ऊर्जा भंडारण प्रणालियों बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम – BESS और पम्प्ड स्टोरेज प्लांट – PSP को स्थापित करने की सिफारिश की गई है. ये सिस्टम दिन के समय अतिरिक्त सौर ऊर्जा को स्टोर कर सकते हैं और रात में या मांग बढऩे पर इसे ग्रिड में वापस छोड़ सकते हैं. इस साल गर्मियों में बिजली की मांग 270 गीगावॉट तक पहुंचने का अनुमान है, जो पिछले साल के 250 गीगावॉट से अधिक है. ऐसे में ग्रिड प्रबंधकों के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय साबित हो सकता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-