चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से 06 अप्रैल 2025 ,पूजन शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से 06 अप्रैल 2025 ,पूजन शुभ मुहूर्त

प्रेषित समय :20:23:55 PM / Thu, Mar 27th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से --06 अप्रैल 2025
*नवरात्रि तिथि पूजन शुभ मुहूर्त*
*नवरात्र पूजा विधि 
*कलश स्थापना*
*ज्वारे बोना*
*नवरात्रि में माता के ज्वारे बोने की विधि*
*नवरात्रि व्रत कथा:*
*आरती दुर्गा माँ*
 *चैत्र नवरात्रि  2025 तिथि पूजन शुभ मुहूर्त*

उदयातिथि के अनुसार, चैत्र नवरात्र रविवार, 30 मार्च रविवार 2025 से ही शुरू होने जा रही है.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि के लिए कलश स्थापना के दो विशेष मुहूर्त निर्धारित किए गए हैं. 
पहला मुहूर्त प्रतिपदा के एक तिहाई समय में कलश स्थापना करना अत्यंत शुभ माना जाता है, जो 30 मार्च 2025 को सुबह 06:14 से 10:21 बजे तक है..
 दूसरा मुहूर्त, अभिजीत मुहूर्त, 30 मार्च 2025 को दोपहर 12:02 से 12:50 बजे तक है, जब कलश स्थापित किया जा सकता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, घटस्थापना का सर्वोत्तम समय प्रातःकाल होता है, जिसे चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दौरान किया जाता है. यदि इस समय चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग उपस्थित हो, तो घटस्थापना को टालने की सलाह दी जाती है.
घटस्थापना का महत्व क्या है?
कलश स्थापना केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह देवताओं की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन भी है.
कलश के मुख पर – भगवान विष्णु
गले में – भगवान शिव
नीचे के भाग में – भगवान ब्रह्मा
मध्य में – मातृशक्ति (दुर्गा देवी की कृपा)
इसलिए, घटस्थापना का सही समय और विधि अपनाकर देवी की कृपा प्राप्त की जा सकती है.
घटस्थापना की सही विधि
साफ-सफाई करें: जिस स्थान पर घटस्थापना करनी है, वहां गंगाजल का छिड़काव करें और उसे पवित्र करें.
मिट्टी का पात्र लें: इसमें जौ बोएं, जो समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं.
कलश की स्थापना करें: मिट्टी के घड़े में जल भरें, उसमें गंगाजल, सुपारी, अक्षत (चावल), दूर्वा, और पंचपल्लव डालें.
नारियल रखें: कलश के ऊपर लाल या पीले वस्त्र में लिपटा हुआ नारियल रखें.
मां दुर्गा का आह्वान करें: मंत्रों का जाप करें और कलश पर रोली और अक्षत अर्पित करें.
नवरात्रि के दौरान दीप जलाएं: घटस्थापना के साथ अखंड ज्योति प्रज्वलित करें, ताकि घर में सुख और शांति बनी रहे.
घटस्थापना के लाभ
घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.
देवी दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं.
मनोकामनाएं पूरी होने का विश्वास है.
घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है.
इस शुभ महोत्सव में ही कलश की स्थापना कर अच्छा रहेगा. दुर्गा जी के नौ भक्तों में सबसे पहले शैलपुत्री की आराधना की जाती है.
चैत्र नवरात्रि   2025 के कार्यक्रम----
चैत्र नवरात्रि 2025 का 9 दिनों का पूजा कैलेंडर
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है.
प्रत्येक दिन एक देवी का पूजन किया जाता है, और हर देवी के स्वरूप में अलग-अलग प्रकार की शक्ति और आशीर्वाद समाहित होते हैं. 
इस बार नवरात्रि 8 दिन की होगी 
लेकिन ज्वारे विसर्जन नवम दिन 7 अप्रैल को ही होगा
दिन              तिथि        वार       देवी पूजा
*प्रतिपदा  30 मार्च 2025 रविवार मां शैलपुत्री
*द्वितीया  31 मार्च 2025 सोमवार  मां ब्रह्मचारिणी
*तृतीया  1 अप्रैल 2025 मंगलवार  मां चंद्रघंटा
*चतुर्थी /पंचमी 2 अप्रैल  बुधवार  मां कूष्मांडा/ स्कंदमाता 
*षष्ठी 3 अप्रैल 2025 गुरुवार   मां कात्यायनी
*सप्तमी  4 अप्रैल 2025 शुक्रवार  मां कालरात्रि
*अष्टमी  5 अप्रैल 2025 शनिवार  मां महागौरी
*नवमी  6 अप्रैल 2025  रविवार  मां सिद्धिदात्री
*पूजा विधि एवं कलश स्थापना*
 घट स्थापना का शुभ मुहूर्त का समय 
पहला मुहूर्त प्रतिपदा के एक तिहाई समय में कलश स्थापना करना अत्यंत शुभ माना जाता है, जो 30 मार्च 2025 को सुबह 06:14 से 10:21 बजे तक है..
 दूसरा मुहूर्त, अभिजीत मुहूर्त, 30 मार्च 2025 को दोपहर 12:02 से 12:50 बजे तक है, जब कलश स्थापित किया जा सकता है.
 आप इन दोनों शुभ मुहूर्त में घट स्थापना कर सकते हैं और इस त्योहार को मना सकते हैं..
*घट स्थापना करने के लिए आपको इस विधि को पूरा करना होगाए*.
*सबसे पहले प्रतिपदा तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पूजा करने का संकल्प ले फिर उसके बाद पूजा स्थल की सजावट करें.
*उस स्थान पर चौकी रखें जहाँ पर कलश में जल भरना है, इसके बाद कलश को कलावे से लपेट लें और उसके ऊपर आम और अशोक के पत्ते रखें.
*इसके बाद नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर रखा था, इसके बाद धूप दीप जलाकर माँ दुर्गा का आह्वान करें और चैत्र नवरात्रि के त्योहार को मनाएं.
कहा जाता है कि शास्त्रों में माँ दुर्गा की पूजा उपासना की बतायी गई विधि से जो कोई अच्छे और सच्चे मन से पूरा करता है उसे नवरात्रि में ज़रूर फल मिलता है.
इस नौ दिनों में दुर्गा मां की पूजा के अलग-अलग मानक बताए जाते हैं. नवरात्र में सबसे पहले दिन कलश स्थापना होती है .साथ में मां शैलपुत्री की पूजा
की जाती है. कलश में त्रिदेव और कुलदेवता का भी निवास
माना जाता है.साथ में जिस देवता की पूजा में कलश स्थापना होती हैं उसका प्रतीक भी कलश माना जाता है.
माता के गृहस्थ भक्त नवरात्रि पर्व (नवरात्रि महोत्सव) दो बार मनाते है.  
 एक चैत्र माह में, दूसरा आश्विन माह में आश्विन मास की वर्ष की नवरात्रि के दौरान भगवान राम की पूजा और धार्मिक महत्व होता है. आश्विन मास की नवरात्रि को शारदीय नक्षत्र भी कहते हैं. इसके अतिरिक्त बर्ष में दो बार गुप्त नवरात्रि भी
आती है जिन्हें साधक और साधु संत अपनी साधना कर मनाते हैं.
नवरात्रि के दिन सबसे पहले नित्य कर्म से निवृत्त साफ पानी से स्नान कर लें. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करना.
(पूजा काल में नीले ,काले रंग के वस्त्रों को धारण  नहीं करना चाहिए.)
इसके बाद कलश की स्थापना होनी चाहिए. एक कलश में आम के पत्ते और पानी डालें. कलश पर पानी वाले नारियल को लाल वस्त्र या फिर लाल मौली में बांध कर रखें.
इसमें एक बादाम, दो सुपारी, एक सुपारी जरूर डालें.
मूर्ति का आसन, पाद्य, अर्ध, आचम्य, स्नान, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आचमन, पुष्पांजलि, नमस्कार, आदि से पूजन करें.
माँ दुर्गा को फल और मिठाई का भोग. धूप, अगरबत्ती से माता रानी की आरती उतारें.
इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ दुर्गा स्तुति करें. 
आप चाहें तो चालीसा सहस्रनाम , 108 नाम या कोई देवी स्तोत्र या मंत्र जाप कर सकते हो इसके   बाद दुर्गाजी की आरती करके प्रसाद चढ़ाएं.

Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-