वॉशिंगटन. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 75 से ज्यादा देशों पर जैसे को तैसा यानी कि रेसिप्रोकल टैरिफ 90 दिनों के लिए रोक दिया है. यह उनके फैसले के साथ ही लागू हो गया है. हालांकि उन्होंने चीन को इस छूट में शामिल नहीं किया है. बल्कि उस पर लगे टैरिफ को 104 प्रतिशत से बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया है. ट्रम्प ने यह कार्रवाई चीन की तरफ से लगाए गए जवाबी 84 प्रतिशत टैरिफ के बाद की है.
चीन पर 125 प्रतिशत टैरिफ लगाने का आसान भाषा में मतलब है कि चीन में बना 100 डॉलर का सामान अब अमेरिका में जाकर 225 डॉलर का हो जाएगा. अमेरिका में चीनी सामानों के मंहगे होने से उसकी बिक्री कम हो जाएगी. ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर लिखा कि चीन ने ग्लोबल मार्केट के लिए सम्मान नहीं दिखाया है. इसी वजह से मैं उस टैरिफ बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर रहा हूं. उम्मीद है कि चीन जल्द यह समझेगा कि अमेरिका और दूसरे देशों को लूटने के दिन चले गए हैं. ट्रम्प ने कहा कि 75 से ज्यादा देशों ने अमेरिका के प्रतिनिधियों को बुलाया है.
इन देशों ने मेरे मजबूत सुझाव पर अमेरिका के खिलाफ किसी भी तरह से जवाबी कार्रवाई नहीं की है. इसलिए मैंने 90 दिन के विराम को स्वीकार किया है. टैरिफ पर इस रोक से नए व्यापार समझौतों पर बातचीत करने का समय मिलेगा. वहीं वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने कहा कि अमेरिका के साथ बातचीत करने के इच्छुक देशों के लिए यह दर घटकर 10 प्रतिशत हो जाएगी. उन्होंने कहा कि कनाडा व मेक्सिको के कुछ सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगता था. अब उन्हें भी बेसलाइन टैरिफ में शामिल कर लिया गया है.
हालांकि उन्होंने यह साफ नहीं किया कि यूरोपीय यूनियन इस बेसलाइन टैरिफ में शामिल है या नहीं.गौरतलब है कि ट्रम्प टैरिफ के चलते अमेरिका समेत ग्लोबल मार्केट में 10 लाख करोड़ डॉलर की गिरावट आई थी. हालांकि टैरिफ रोकने के फैसले के कुछ घंटों के अंदर ही अमेरिकी शेयर बाजार की वैल्यू 3.1 लाख करोड़ डॉलर बढ़ गई. ट्रम्प के कई करीबी सलाहकारों व खुद इलॉन मस्क भी टैरिफ वॉर रोकने की सलाह दे चुके थे. ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के कई नेता भी टैरिफ के खिलाफ थे.
मिच मैककोनल, रैंड पॉल, सुसन कोलिन्स व लिसा मुर्कोव्स्की ने टैरिफ को असंवैधानिक अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक व कूटनीतिक रूप से खतरनाक बताया था. टैरिफ के चलते अप्रत्याशित तौर पर अमेरिकी बॉन्ड्स की बिकवाली शुरू हो गई थी. क्रूड की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई, यह कोरोना काल जैसी स्थिति बन रही थी. वॉल स्ट्रीट के बैंकों ने टैरिफ के चलते अमेरिका में महंगाई, बेरोजगारी बढऩे व मंदी आने की चेतावनी दी थी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-