मौसम विभाग ने दी गुड न्यूज: सामान्य से बेहतर रहेगा मानसून; 105% बारिश की उम्मीद, अल नीनो का खतरा नहीं

मौसम विभाग ने दी गुड न्यूज: सामान्य से बेहतर रहेगा मानसून

प्रेषित समय :18:00:44 PM / Tue, Apr 15th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने मंगलवार 15 अप्रैल को बताया कि इस बार जून से सितंबर तक मानसून सामान्य से बेहतर रहेगा. मौसम विभाग 104 से 110 फीसदी के बीच बारिश को सामान्य से बेहतर मानता है. यह फसलों के लिए अच्छा संकेत है.

आईएमडी के मुताबिक 2025 में 105 प्रतिशत यानी 87 सेंटीमीटर बारिश हो सकती है. 4 महीने के मानसून सीजन के लिए लॉन्ग पीरियड एवरेज (एलपीए) 868.6 मिलीमीटर यानी 86.86 सेंटीमीटर होता है. यानी मानसून सीजन में कुल इतनी बारिश होनी चाहिए.

मानसून 1 जून के आसपास केरल के रास्ते आता है. 4 महीने की बरसात के बाद यानी सितंबर के अंत में राजस्थान के रास्ते मानसून की वापसी होती है. कई राज्यों में यह 15 से 25 जून के बीच पहुंचता है.

हीटवेव्स के दिन मई-जून में बढ़ेंगे

आईएमडी चीफ के मुताबिक इस साल अल नीनो की स्थितियां नहीं बनेंगी. देश के कई हिस्सों में अभी भीषण गर्मी पड़ रही है. अप्रैल और जून में हीटवेव्स दिनों की संख्या में इजाफा होगा. इससे पावर ग्रिड पर प्रेशर बढ़ेगा और पानी की कमी होगी. देश का 52 फीसदी खेतिहर इलाका मानसून पर निर्भर करता है. मानसून में पानी के स्रोतों की कमी पूरी होती है. ऐसे में सामान्य मानसून बड़ी राहत की खबर है. मौसम विज्ञानियों का कहना है कि अब मानसून में बारिश के दिनों की कमी हो रही है और भारी बारिश की बढ़ोतरी हो रही है. इससे लगातार सूखा और बाढ़ के हालात बन रहे हैं.

इकोनॉमी के लिए अच्छी बारिश जरूरी

देश में साल भर में होने वाली कुल बारिश का 70% पानी मानसून के दौरान ही बरसता है. देश में 70 प्रतिशत से 80 प्रतिशत किसान फसलों की सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर हैं. यानी मानसून के अच्छे या खराब रहने से पैदावार पर सीधा असर पड़ता है. अगर मानसून खराब हो तो फसल कम पैदा होती है, जिससे महंगाई बढ़ सकती है. भारतीय अर्थव्यवस्था में एग्रीकल्चर सेक्टर की हिस्सेदारी करीब 20 प्रतिशत है. वहीं, देश की आधी आबादी को कृषि क्षेत्र ही रोजगार देता है. अच्छी बारिश का मतलब है कि खेती से जुड़ी आबादी को फेस्टिव सीजन से पहले अच्छी आमदनी हो सकती है. इससे उनकी खर्च करने की क्षमता बढ़ती है, जो इकोनॉमी को मजबूती देती है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-