-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर (व्हाट्सएप- 6367472963)
* मासिक कृष्ण जन्माष्टमी - 20 अप्रैल 2025, रविवार
* मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पूजा - 00:08 से 00:53, 21 अप्रैल 2025
* कृष्ण अष्टमी प्रारम्भ - 19:00, 20 अप्रैल 2025
* कृष्ण अष्टमी समाप्त - 18:58, 21 अप्रैल 2025
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मधुराष्टकम् का गायन जीवन में धनानंद की वर्षा कर देता है.
श्रीकृष्ण की भक्ति में अनेक गीत-भजन हैं, जिनमें से मधुराष्टकम् अपने नाम की तरह ही बहुत मधुर है, धनदायक है, आनंददायक है.
इसमें भगवान मधुसूदन का अत्यंत मधुरता से वर्णन किया गया है, भगवान श्रीकृष्ण के सम्पूर्ण सौन्दर्य का वर्णन तन-मन को प्रसन्न कर देता है.
॥ मधुराष्टकम् ॥
अधरं मधुरं वदनं मधुरंनयनं मधुरं हसितं मधुरम्.
हृदयं मधुरं गमनं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥1॥
वचनं मधुरं चरितं मधुरंवसनं मधुरं वलितं मधुरम्.
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥2॥
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरःपाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ.
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥3॥
गीतं मधुरं पीतं मधुरंभुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम्.
रूपं मधुरं तिलकं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥4॥
करणं मधुरं तरणं मधुरंहरणं मधुरं रमणं मधुरम्.
वमितं मधुरं शमितं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥5॥
गुञ्जा मधुरा माला मधुरायमुना मधुरा वीची मधुरा.
सलिलं मधुरं कमलं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥6॥
गोपी मधुरा लीला मधुरायुक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम्.
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥7॥
गोपा मधुरा गावो मधुरायष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा.
दलितं मधुरं फलितं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥8॥
॥ इति श्रीमद्वल्लभाचार्यकृतं मधुराष्टकं सम्पूर्णम् ॥
श्री त्रिपुरा सुंदरी दैनिक धर्म-कर्म पंचांग : 18 अप्रैल 2025
शक सम्वत 1947, विक्रम सम्वत 2082, अमान्त महीना चैत्र, पूर्णिमान्त महीना वैशाख, वार शुक्रवार, पक्ष कृष्ण, तिथि पञ्चमी - 17:07 तक, नक्षत्र ज्येष्ठा - 08:21 तक, योग परिघ - 01:04, (19 अप्रैल 2025) तक, करण तैतिल - 17:07 तक, द्वितीय करण गर - 05:48, (19 अप्रैल 2025) तक, सूर्य राशि मेष, चन्द्र राशि वृश्चिक - 08:21 तक, राहुकाल 10:56 से 12:32, अभिजित मुहूर्त 12:06 से 12:57
दैनिक चौघड़िया- 18 अप्रैल 2025, शुक्रवार
दिन का चौघड़िया
चर - 06:09 से 07:44
लाभ - 07:44 से 09:20
अमृत - 09:20 से 10:56
काल - 10:56 से 12:32
शुभ - 12:32 से 14:07
रोग - 14:07 से 15:43
उद्वेग - 15:43 से 17:19
चर - 17:19 से 18:55
रात्रि का चौघड़िया
रोग - 18:55 से 20:19
काल - 20:19 से 21:43
लाभ - 21:43 से 23:07
उद्वेग - 23:07 से 00:31
शुभ - 00:31 से 01:55
अमृत - 01:55 से 03:20
चर - 03:20 से 04:44
रोग - 04:44 से 06:08
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!
आज का दिनः शुक्रवार, 18 अप्रैल 2025, मधुराष्टकम् अपने नाम की तरह ही बहुत मधुर है, आनंददायक है!
प्रेषित समय :21:21:41 PM / Thu, Apr 17th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर