भरी अदालत में में महिला जज को धमकी और गालीगलौज, कहा- तू है क्या चीज, तू बाहर मिल देखता हूं कैसे जिंदा घर जाती है

भरी अदालत में में महिला जज को धमकी और गालीगलौज, कहा- तू है क्या चीज, तू बाहर मिल देखता हूं कैसे जिंदा घर जाती है

प्रेषित समय :16:11:19 PM / Mon, Apr 21st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. देश की राजधानी दिल्ली की एक अदालत में उस वक्त हड़कंप मच गया जब चेक बाउंस के एक मामले में दोषी करार दिए गए एक शख्स और उसके वकील ने भरी अदालत में महिला जज को धमकाया और उनके साथ गालीगलौज की. आरोपी ने फैसले से नाराज होकर जज पर कोई चीज फेंकने की भी कोशिश की.

यह चौंकाने वाली घटना 2 अप्रैल, 2025 को न्यायिक मजिस्ट्रेट (एनआई एक्ट) शिवांगी मंगला की अदालत में हुई. जज मंगला ने परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 (चेक बाउंस) के तहत दायर एक मामले में आरोपी को दोषी ठहराया था और उसे दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 437ए के तहत जमानत मुचलका भरने का निर्देश दिया था.

बार एंड बेंच और अन्य मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दोषी ठहराए जाने के बाद आरोपी ने आपा खो दिया और जज को धमकाते हुए कहा, तू है क्या चीज, तू बाहर मिल देखता हूं कैसे जिंदा घर जाती है. आरोपी ने अपने वकील अतुल कुमार को भी निर्देश दिया कि वह हर संभव कोशिश करके फैसला अपने पक्ष में करवाए.

जज शिवांगी मंगला ने अपने आदेश में इस पूरी घटना का विस्तार से उल्लेख किया है. उन्होंने कहा कि दोषसिद्धि के बाद आरोपी और उसके वकील ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान किया और उन पर अपने पद से इस्तीफा देने का दबाव बनाया. उन्होंने दोषी करार दिए जाने के बावजूद आरोपी को बरी करने की मांग की और ऐसा न करने पर जज के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराने और जबरन इस्तीफा दिलवाने की धमकी भी दी.

जज मंगला ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि वह इस तरह की धमकियों और उत्पीडऩ के बावजूद न्याय के पक्ष में अपना काम करती रहेंगी. उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना और आरोपी द्वारा किए गए उत्पीडऩ के संबंध में राष्ट्रीय महिला आयोग, दिल्ली के समक्ष उचित कार्रवाई की जाएगी.

अदालत ने इस मामले में दोषी के वकील अतुल कुमार को भी सख्त नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने वकील से लिखित में स्पष्टीकरण मांगा है कि अदालत में किए गए उनके आचरण के लिए उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए और इस मामले को आपराधिक अवमानना की कार्यवाही के लिए माननीय हाई कोर्ट क्यों न भेजा जाए. वकील को अगली सुनवाई की तारीख पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है. इस घटना ने न्यायपालिका की सुरक्षा और अदालत कक्ष के भीतर मर्यादित आचरण बनाए रखने की आवश्यकता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-