एमपी: इंदौर के होटल में चल रही थी नकली नोट बनाने की फैक्टरी, फिल्म फर्जी से मिला आइडिया, फेसबुक पर बनाई गैंग, 6 गिरफ्तार

एमपी: इंदौर के होटल में चल रही थी नकली नोट बनाने की फैक्टरी

प्रेषित समय :20:59:55 PM / Tue, Apr 22nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पलपल संवाददाता, इंदौर. एमपी के इंदौर में अनुराग नगर स्थित होटल इंटरनिटी   होटल में नकली नोट बनाने की फैक्टरी चल रही है. इस बात का खुलासा उस वक्त हुआ है जब होटल के स्टाफ को संदेह हुआ और उन्होने मास्टर चाबी से रुम खोल लिया. वहां पर ं प्रिंटर, लेमिनेटर, कम्प्यूटर व लाखों के नकली नोट बिखरे थे. खबर मिलते ही क्राइम ब्रांच की टीम ने दबिश देकर रैकेट का पर्दाफाश किया है.

पुलिस अधिकारियों को खबर मिली कि अनुराग नगर स्थित होटल इंटरनिटी में तीन युवक नकली नोट छाप रहे हैं. पुलिस अधिकारियों ने टीम के साथ घेराबंदी कर होटल के रुम नम्बर 301 में दबिश दी.  पुलिस को देखते ही नकली नोट बनाने में जुटे युवकों में अफरातफरी मच गई. पुलिस ने मौके से अब्दुल शोएब, रहीश खान व प्रफुल्ल कुमार कोरी को गिरफ्तार कर कमरे की तलाशी ली तो  बैग से 500-500 रुपए के 100 नकली नोट और नोट छापने के उपकरण मिले. पुलिस को पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि जल्दी अमीर बनने की नीयत से उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से होटल में छिपकर नकली नोट छापने का ठिकाना बनाया था. इन्हें अपने अन्य साथियों के माध्यम से बाजार में खपाने की योजना बना रखी थी. केस दर्ज कर तीनों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई.

भोपाल से भी पकड़े गए गैंग के साथी-

पुलिस को इंदौर में पकड़े गए आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि उनके दो साथी भोपाल में नकली नोटों की सप्लाई का काम कर रहे हैं. इसके बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने भोपाल पहुंचकर आकाश घारु व शंकर चौरसिया को 3 लाख 85 हजार रुपए के नकली नोटों के साथ गिरफ्तार किया. उन्होंने स्वीकार किया कि उनका संपर्क नोट छापने वाली छिंदवाड़ा गैंग से फेसबुक के माध्यम से हुआ था. छिंदवाड़ा की गैंग छपाई का काम करती थी जबकि भोपाल की गैंग नोट बाजार में खपाने की जिम्मेदारी संभालती थी. इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड अब्दुल शोएब है. क्राइम ब्रांच ने 15 अप्रैल को पूरे घटनाक्रम का खुलासा किया था और 17 अप्रैल को छठे आरोपी की गिरफ्तारी के साथ गिरोह की परतें पूरी तरह उजागर कर दी गईं.

गुजरात के युवक ने मुहैया कराए उपकरण-

पुलिस को पूछताछ में मुख्य आरोपी अब्दुल शोएब उर्फ छोटू उम्र 25 वर्ष ने बताया कि वह ग्रेजुएट है और लम्बे समय से बेरोजगार होने के कारण परेशान रहा. शोएब ने ऑनलाइन फर्जी करेंसी से जुड़े ग्रुप खंगालना शुरू किए. इसके बाद उसकी पहचान द्वारका (गुजरात) के मयूर चम्पा 25 वर्ष से हुई. जिसने फिल्म फर्जी देखने के बाद नकली नोट छापने का आइडिया सोचा था. मयूर ने शोएब को एक खास सॉफ्टवेयर मुहैया कराया, जो असली नोट की हूबहू कॉपी तैयार कर सकता था. इसमें वाटरमार्क, सीरियल नंबर और रंगों तक का मिलान था. शोएब ने रहीश खान 32 वर्ष, प्रफुल्ल कोरी 19 वर्ष जैसे साथियों को जोड़ा, जो या तो मामूली काम करते थे या बिल्कुल बेरोजगार थे. बाद में भोपाल के आकाश घारु 30 वर्ष व मेडिकल स्टोर संचालक शंकर चौरसिया 42 वर्ष भी इस रैकेट से जुड़ गए. सारा नेटवर्क फेसबुक के जरिए जुड़ा था. सॉफ्टवेयर, हाई क्वालिटी प्रिंटर, लेमिनेशन मशीन, बटर पेपर, कटिंग टूल्स व अन्य उपकरण खरीदे गए.

साफ्टवेयर एक्सपर्ट है मयूर चस्पा-

क्राइम ब्रांच ने नकली नोट छापने वाले गिरोह के छठे आरोपी मयूर चम्पा को द्वारका से गिरफ्तार किया. मयूर चम्पा साफ्टवेयर का मास्टर माइंड है. जिसने इस गैंग के लिए सॉफ्टवेयर की व्यवस्था की, इसके बाद नकली नोट छापने का काम शुरु किया गया. मयूर को बॉलीवुड की फर्जी फिल्म देखने के बाद नकली नोट छापने का आइडिया आया था. जिसके बाद उसने विशेष सॉफ्टवेयर तैयार कराया. इस सॉफ्टवेयर की खासियत यह थी कि इसके जरिए असली नोट की साइज का नकली नोट बना सकते थे. उनके नंबर भी बदले जा सकते थे. यह सॉफ्टवेयर नोट में वाटर मार्क तक तैयार कर सकता था. सॉफ्टवेयर फोटोशॉप से संबंधित बताया जा रहा है और इसकी जांच अब भी जारी है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-