जबलपुर: हैदराबाद से लाए 57 घोड़ों में से 8 की मौत से हड़कंप, पशु पालन विभाग सतर्क, ग्लैंडर बीमारी की आशंका

जबलपुर: हैदराबाद से लाए 57 घोड़ों में से 8 की मौत से हड़कंप

प्रेषित समय :14:40:06 PM / Fri, May 23rd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. मध्य प्रदेश के जबलपुर में रेसकोर्स खोलने हैदराबाद से लाये गये 57 घोड़ों में से 8 की रहस्यमय बीमारी से मौत होने पर  हड़कंप  मच गया है. अचानक हुई इस घटना की जानकारी घोड़ा मालिक सचिन तिवारी ने तत्काल जिला प्रशासन को दी. कलेक्टर के निर्देश पर पशु चिकित्सा विभाग की टीम मौके पर पहुंची और बीमार घोड़ों का उपचार शुरू किया.

घोड़ों की लगातार हो रही मौत को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर ने रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया. टीम ने सभी घोड़ों के ब्लड सैंपल लेकर जांच के लिए हरियाणा स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र भेजे. हालांकि जांच में 44 घोड़ों की ग्लैंडर रिपोर्ट नेगेटिव आई है. ग्लैंडर एक खतरनाक बीमारी है, जो खासकर घोड़ों, खच्चरों और गधों को होती है. इसमें नाक से गंदा या खून मिला पानी आना, कमजोरी, खांसी-बुखार जैसे लक्षण होते है.

इंसानों में फैल सकती है बीमारी

पशु चिकित्सा विभाग के अनुसार, यह बीमारी इंसानों के लिए भी खतरनाक हो सकती है, इसी कारण जिला प्रशासन ने पशुपालन विभाग को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं. सचिन तिवारी के अनुसार, 29 अप्रैल से 3 मई के बीच उन्होंने हैदराबाद से 57 घोड़े खरीदे थे. 5 मई को कुछ घोड़ों के बीमार होने की सूचना उन्होंने पशु चिकित्सा विभाग को दी, जिसके बाद यह जानकारी कलेक्टर दीपक सक्सेना तक पहुंचाई गई. 8 मई को पहले घोड़े और 13 मई को आखिरी घोड़ें की मौत हुई. ऐसे में अब तक आठ घोड़ों की मौत हो चुकी है जबकि कुछ अन्य बीमार हैं. रैपिड रिस्पांस टीम के सदस्य भी लगातार घोड़ों के संपर्क में रहे हैं, इसलिए एहतियात के तौर पर उनकी भी जांच करवाई जाएगी. हालांकि अभी तक किसी सदस्य में बीमारी के कोई लक्षण नहीं पाए गए हैं.

हर 3 महीने में कराई जाती घोड़ों की जांच

हॉर्स केयरटेकर सचिन तिवारी ने बताया कि ग्लैंडर घोड़ों में एक गंभीर बीमारी है. ऐसे में हर 3 महीने में उनकी नियमित जांच कराई जाती है. जब भी घोड़े किसी दूसरी जगह ले जाए जाते हैं, तो बिना ब्लड रिपोर्ट के उनका ट्रैवल नहीं होता. यह एक रूटीन जांच प्रक्रिया है. मेरे पास काठियावाड़ी और मारवाड़ी नस्ल के घोड़े हैं.

गर्मी के चलते मौत

पशु चिकित्सा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर प्रफुल्ल मून ने बताया कि जब घोड़े हैदराबाद से यहां लाए गए थे, तब मौसम काफी गर्म था, जिसकी वजह से वे यहां का वातावरण सहन नहीं कर पाए. संभावना जताई जा रही है कि गर्मी के कारण ही उनकी मौत हुई है. कुछ घोड़ों की मौत कॉलिक (पेट की बीमारी) से भी हुई है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-