MP: जबलपुर में पूर्व शहर युवक कांग्रेस अध्यक्ष जतिन राज पर इनाम घोषित, साथी नेता मनोज नामदेव के साथ मिलकर किया जमीनों का फर्जीवाड़ा

MP: जबलपुर में पूर्व शहर युवक कांग्रेस अध्यक्ष जतिन राज पर इनाम घोषित

प्रेषित समय :15:19:31 PM / Wed, May 21st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी के जबलपुर में जबलपुर विकास प्राधिकरण की खाली जमीनों को फर्जी तरीके से हड़पने वाले गिरोह के मुख्य आरोपी जतिन राज व उनके साथी मनोज नामदेव के खिलाफ एसपी संपत उपाध्याय ने 5-5 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है. दोनों आरोपी करीब एक माह से फरार है, जिनकी तलाश में पुलिस की टीमें जुटी हुई है.

पुलिस अधिकारियों की माने तो युवक कांग्रेस के नगर अध्यक्ष जतिन राज ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर जेडीए की जमीनों के फर्जी  दस्तावेज तैयार किए, फिर उन जमीनों को लाखों रुपए में बेच दिया. इस मामले की शिकायत मिलने पर जांच करते हुए पुलिस ने एक आरोपी कयाज उर्फ शुभम उर्फ शिवम को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद से जतिन राज व मनोज नामदेव की तलाश में जुट गई. पुलिस की टीमों ने संभावित ठिकानों पर दबिश दी लेकिन दोनों का कहीं पता नहीं चल सका. इसके बाद एसपी ने दोनों पर इनाम घोषित करते हुए आरोपियों को जल्द ही पकड़कर सलाखों के पीछे पहुंचाने के निर्देश दिए.

गौरतलब है कि जतिन राज पहले एनएसयूआई में पदाधिकारी रह चुका है, जिसपर शहर के एक बड़े नेता का हाथ है, उनकी ही सरपरस्ती में जतिन राज आगे बढ़ा और जमीनों के फर्जीवाड़ा में जुट गया. गौरतलब है कि कयाज उर्फ शुभम ने पकड़े जाने पर पुलिस के सामने कई अह्म खुलासे किए है. जतिन राज, मनोज नामदेव व कयाज के फर्जीवाड़ा का राज उस वक्त खुला जब सैफ नगर निवासी कयाज उर्फ शुभम स्वयं विजय नगर निवासी केपी लटोरिया का बेटा बताते हुए एक जमीन को अपने नाम करने की कोशिश की. उसने नकली पहचान पत्र भी लगाए. जेडीए के सीईओ दीपक वैद्य को शक हुआ. दस्तावेजों की जांच कराई तो वे फर्जी निकले. जांच में पता चला कि जिस केपी लटोरिया का बेटा बनकर शुभम जेडीए आफिस पहुंचा था, उनकी व उनकी पत्नी की मौत हो चुकी है. उनकी कोई संतान नहीं थी. इसके बाद शुभम को पुलिस के हवाले कर दिया गया.

जेडीए से खाली जमीनों की जानकारी निकालते रहे-

ओमती पुलिस को पूछताछ में कयाज ने बताया था कि जतिन व मनोज जैसे कांग्रेस नेता इस गिरोह के पीछे हैं. पहले ये लोग खाली जमीनों की जानकारी निकालते थे. फिर फर्जी उत्तराधिकारी तैयार कर जमीन अपने नाम कराकर  उसे बेच देते थे. हर सदस्य को उसकी भूमिका के हिसाब से कमीशन मिलता था.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-