अभिमनोज
एक संगठित साजिश की केस स्टडी: 11 मई, 2025 को सोनम और राजा रघुवंशी की शादी हो गई. वे 20 मई को हनीमून पर मेघालय गए. 23 मई को वे लापता पाए गए; राजा का शव 2 जून को एक गहरी खाई (Weisawdong Falls नजदीक) में मिला, जिसमें सिर में गहरे चोट के निशान और पास में माचिस थी.
मुख्य आरोपी
सोनम रघुवंशी, उनका कथित प्रेमी राज कुशवाहा (लगभग भाई के कारोबार में एकाउंटेंट), और तीन कथित हिटमैन (विशाल , आकाश, आनंद) गिरफ्तार .
घटनाक्रम और डिजिटल ट्रेल्स
सोनम और राज ने शादी के नौ दिन बाद हत्या की योजना बनाई. हिटमैन 21–22 मई को गुवाहाटी पहुँचे, जबकि सोनम-राज 20–21 मई को मेघालय पहुंचे .
हत्याकांड दिन (23 मई)
स्रोत बताते हैं कि सोनम हत्या स्थल से लगभग 10 किमी दूर थी, जबकि हत्याकांड वहीं हुआ, और पुरानी योजना के तहत हत्या करवाई ��ी
डिजिटल फोरेंसिक ट्रेल्स
हिटमैन को भेजे गए दो मोबाइल (एक "keypad", एक Android):
कीपैड फोन से मौजूदगी की जानकारी मिली.
एंड्रॉयड फोन से लाइव लोकेशन और फोटो भेजे गए, जो कि पुलिस ने फॉरेंसिक रूप में विश्लेषित किये
सोनम ने राजा के सोशल मीडिया पर “union for seven lives” पोस्ट किया—यह कदम पुलिस को संदिग्ध प्रतीत हुआ
हत्या के बाद सोनम गुवाहाटी से ट्रेन/बस द्वारा 25 मई को इंदौर पहुंची और फिर 8 जून को UP में खुद को प्रस्तुत किया
डिजिटल सबूतों का महत्व
मोबाइल डेटा:
लोकेशन लॉग, एसएमएस/व्हाट्सएप मैसेजेस, काल हिस्ट्री आदि दूरसंचार डेटा ने घटनाक्रम प्रमाणित करने में अहम भूमिका निभाई.
उदाहरण: फोन से फोटो और लोकेशन मिलकर सोनम और राज द्वारा हत्या की योजना की पुष्टि हुई. एंड्रॉयड फोन ट्रैकिंग से सोनम की जगह‑स्थान श्रृंखला दर्ज हुई.
सोशल मीडिया पोस्ट:
राजा के अकाउंट से किया गया "seven lives" पोस्ट डॉक्टर जांच में साबित हुआ कि हत्या के बाद की पोस्ट थी, जिससे हत्या के समय सोनम के व्यवहार पर संदेह हुआ.
कानून की धाराएं और प्रक्रियाएँ
IT Act 2000:
डिजिटल ट्रेल्स (लोक, फोटो आदि) को "इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड" माना जाता है.
धारा 65B Indian Evidence Act के अनुसार, ये प्रमाण कोर्ट में स्वीकृत हो सकते हैं यदि उचित प्रक्रिया से प्रमाणित हों
Criminal Procedure Code (IPC):
हत्या (IPC 302), षड्यंत्र (IPC 120B), और संगठित अपराध में भाग लेने की धाराओं के अंतर्गत आरोपी दायित्व का सामना करते हैं.
डिजिटल फोरेंसिक की विधि:
फोरेंसिक लैब उपकरणों (जैसे डिस्क इमेजिंग, नेटवर्क फोरेंसिक एनालाइज़र, कॉल डेटा रिकॉर्ड विश्लेषण आदि) का उपयोग पुलिस और CBI द्वारा किया गया .
केस में डिजिटल पेमेंट रिकॉर्ड, फोन लोकेशन, व्हाट्सऐप/एसएमएस द्वारा किए गए संवादों की समय‑रेखा तैयार की गई.
संगठित अपराध का दृष्टिकोण
टीम वर्क: सोनम + राज + तीन हिटमैन → स्पष्ट रूप से चर्चा, योजना, और निष्पादन के स्तर पर संगठित गतिविधि.
रिमोट निर्देशन: राज ने हत्या की जिला से भेजे गए निर्देश दिए, यह किसी व्यक्तिगत झगड़े की बजाय संगठित अपराध का चिह्न है.
प्रतिपादित पैटर्न: हत्या के बाद सोनम और राज ने कई डिजिटल ट्रैक छोड़े (जैसे ट्रांसफर, फोन लोकेशन, सोशल पोस्ट आदि), जो कि संगठित योजनाओं की विशेषता थी.
और भी घटनाएं
Suhas Katti vs. Tamil Nadu (2004)
पृष्ठभूमि: सुहास कट्टी ने इंटरनेट पर अश्लील मैसेजेस भेजकर एक महिला को बदनाम किया; कबर ई‑मेल और फ़ोरवर्क में ‘forgery’ की धारा लागू हुई.
महत्व:
डिजिटल माध्यम से अपराध और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों की मान्यता (धारा 65B इत्यादि) भारत में स्थापित हुई .
यह डिजिटल फोरेंसिक तथा कोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणों की मान्यता का पहला उदाहरण था.
Dark Web/Organised Killings:
कुछ मामलों में DarkExtract जैसे टूल्स का उपयोग Tor/ऑनलाइन गतिविधियों की फोरेंसिंग के लिए किया जाता है (Tor browser artifacts)
इन उदाहरणों में समानताएं:
डिजिटल माध्यम से योजना (ऑनलाइन/फोरेंसिक)
इलेक्ट्रॉनिक ट्रेल और अदालत में प्रमाण
निर्णय और विरासत के रूप में कानून की विकसित स्थिति
डिजिटल फोरेंसिक और कानून में प्रगति:
कई कानूनी धाराएं (IT Act, IPC, Evidence Act) और फोरेंसिक विधियाँ अपराध जांच की प्राथमिक आधार बन गई हैं.
मोबाइल डेटा, लोकेशन, मैसेज, सोशल‑मीडिया ट्रेल सभी मापन योग्य प्रमाण बन गए हैं.
संगठित अपराध की विशेषता:
टीमवर्क, योजना, रिमोट निर्देशन और वित्तीय/तकनीकी संसाधनों का समुचित उपयोग.
डिजिटल पेमेन्ट और ट्रैकिंग इस संगठन के सुगमता हेतु सहायक.
न्यायपालिका, पुलिस और डिजिटल फोरेंसिक एजेंसियों को समन्वित प्रशिक्षण और संसाधन सुनिश्चित किये जाएँ—जैसे कि भारत में GSW, MMMUT जैसे केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं .
वैज्ञानिक प्रमाणों की साख बढ़ाने के लिए सख्त मानक (जैसे Netherlands Register of Court Experts मॉडल) अपनाने की आवश्यकता है .
“सोनम कांड” ने स्पष्ट कर दिया कि डिजिटल फोरेन्सिक और साइबर कानून आज हत्या जैसे संगठित अपराधों की जांच में कितने निर्णायक हो गए हैं. मोबाइल लोकेशन, सोशल मीडिया, डिजिटल ट्रांजैक्शन, और इलेक्ट्रॉनिक संदेश—यह सभी अब अदालत में मान्य और निर्णायक रूप से इस्तेमाल हो रहे हैं.
संयुक्त परिवार संरचना, गठित सफ्टवेयर और मशीनरी उपयोग के माध्यम से यह स्पष्ट है कि अपराध में नवीन तकनीक और डिजिटल साक्ष्य संभावनाओं को हमेशा के लिए परिवर्तित कर रहे हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-