इलाहाबाद हाईकोर्ट: कानून इंसाफ का जरिया है, साजिशों का हथियार नहीं है!

इलाहाबाद हाईकोर्ट: कानून इंसाफ का जरिया है, साजिशों का हथियार नहीं है!

प्रेषित समय :20:19:18 PM / Sun, Jun 29th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अभिमनोज
इलाहाबाद हाईकोर्ट का कहना है कि- कानून इंसाफ का जरिया है, साजिशों का हथियार नहीं है.
खबरें हैं कि.... इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समझौते के आधार पर सामूहिक दुष्कर्म और लूट के आरोप में ट्रायल कोर्ट में लंबित आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया, यही नहीं, पीड़िता और आरोपितों पर दो-दो हजार रुपये हर्जाना भी लगाया है. 
खबरों की मानें तो.... न्यायमूर्ति डॉ. गौतम चौधरी की अदालत ने बदायूं निवासी मुनीश और दो अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर यह फैसला सुनाते हुए कहा कि- कानून इंसाफ का जरिया है, साजिशों का हथियार नहीं है, विपक्षी को सबक सिखाने के लिए मुकदमा दर्ज करवाकर बाद में बयान से मुकरना आम हो गया है, ऐसे मामलों में अदालत मूकदर्शक नहीं बनी रह सकती है.
खबरों पर भरोसा करें तो.... बदायूं के उधैती थाने में पीड़िता ने याचियों के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म, लूट और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था, लेकिन जब ट्रायल शुरू हुआ तो समझौता करके पीड़िता ने कहा कि- मुकदमा गलतफहमी में दर्ज कराया गया है, इसके बाद आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने के लिए याचिओं ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई, नतीजे में.... समझौते की पुष्टि के बाद हाईकोर्ट ने याचियों के खिलाफ बदायूं की विशेष न्यायाधीश की अदालत में लंबित कार्यवाही को तो रद्द कर दिया, लेकिन यह भी कहा कि- आरोप बेहद संगीन है, परन्तु जब पीड़िता ही मुकर गई, तो दोषसिद्धि की संभावना भी नहीं के बराबर है, लिहाजा अदालत का बहुमूल्य समय बर्बाद होने से बचाने के लिए मुकदमा रद्द करना ही न्यायहित में है. 
हालांकि... अदालत ने यह भी कहा कि- इस फैसले का यह निष्कर्ष बिल्कुल नहीं है कि आरोपी निर्दोष हैं, यह सरासर बदले की भावना में कानून और अदालती प्रक्रिया के दुरुपयोग का मामला है, इसलिए.... दोनों पक्षकारों को तीन सप्ताह में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में दो-दो हजार रुपये बतौर हर्जाना जमा करना होगा!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-