अभिमनोज
आज का साइबर संसार एक ऐसे रणभूमि में बदल चुका है, जहाँ दुश्मन रावण की तरह हर बार नए रूप में सामने आता है. कभी वह किसी प्रतिष्ठित कंपनी के चेहरे में छिपा होता है, तो कभी एक मददगार तकनीकी सलाह के बहाने आपके डिवाइस की आत्मा तक पहुंच जाता है. साइबर अपराध अब केवल डेटा चोरी नहीं, बल्कि पहचान, भरोसा और राष्ट्रीय सुरक्षा तक को निगलने वाला राक्षस बन चुका है.
माइक्रोसॉफ्ट की ताज़ा रिपोर्ट से जो तथ्य सामने आए हैं, वे न केवल चौकाने वाले हैं, बल्कि वैश्विक चिंता का विषय भी हैं. रूसी हैकिंग समूह "टरला" या "सीक्रेट ब्लिज़ार्ड" ने कैस्परस्की जैसी भरोसेमंद साइबर सुरक्षा कंपनी की पहचान का नकाब पहनकर मॉस्को स्थित विदेशी दूतावासों की जासूसी की. उन्होंने रूसी इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISPs) की मदद से इन दूतावासों के इंटरनेट ट्रैफिक को मोड़ते हुए उसमें मैलवेयर इंजेक्ट किया. यानी अब हैकिंग बंदूक की नहीं, ब्रांड की शक्ल में आती है — जो भरोसे का छलावा बनाकर हमला करती है.
साइबर हमलों की यह दुनिया अब इतनी जटिल और बहुरूपी हो चुकी है कि "हैकर" शब्द के मायने भी बदल गए हैं. हैकर अब केवल अपराधी नहीं, बल्कि वह एक रणनीतिक अभिनेता बन चुका है, जिसकी प्रेरणा—राजनीतिक, सामाजिक, नैतिक या निजी हो सकती है.
TechFunnel जैसी तकनीकी शोध साइट्स इस विषय में और भी गहराई से जानकारी देती हैं. वहाँ से मिली जानकारी के अनुसार, हैकर्स को उनके इरादे और कार्यशैली के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में बाँटा गया है:
White Hat Hackers: ये नैतिक हैकर होते हैं जो संस्थानों को उनकी साइबर खामियाँ बताकर उन्हें सुरक्षित बनाते हैं.
Black Hat Hackers: ये अपराधी हैकर होते हैं जो अवैध रूप से सिस्टम में घुसपैठ कर डेटा चोरी, फिरौती या नेटवर्क क्रैश करते हैं.
Gray Hat Hackers: ये न तो पूरी तरह अच्छे होते हैं और न ही बुरे. ये बिना अनुमति के खामियाँ खोजते हैं और कभी-कभी उसके बदले पैसे भी माँगते हैं.
Script Kiddies: तकनीकी रूप से कमजोर लेकिन दुसरों के बनाए टूल्स से हमला करने वाले अनाड़ी हैकर्स.
Elite Hackers: उच्चतम स्तर के हैकर्स जो नए एक्सप्लॉइट्स और तकनीकी रास्ते खोजते हैं.
Hacktivists: जो किसी सामाजिक या राजनीतिक आंदोलन के लिए हैकिंग करते हैं.
State-Sponsored Hackers: सरकारों द्वारा नियुक्त साइबर योद्धा, जो रणनीतिक जासूसी और हमले करते हैं.
Green, Blue, Red, Purple Hat Hackers: जो सीखने वाले, सुरक्षा परीक्षण करने वाले, बदला लेने वाले या हैकरों को रोकने वाले होते हैं—हर एक का तरीका और उद्देश्य अलग होता है.
अब प्रश्न यह नहीं है कि कौन सा हैकर "अच्छा" है और कौन "बुरा"—बल्कि यह है कि हम किस हद तक उनके खिलाफ तैयार हैं. जब एक हैकर किसी ब्रांड का नकाब पहनकर आता है, तो तकनीकी सावधानी ही पर्याप्त नहीं रह जाती. अब ज़रूरत है डिजिटल चेतना की—जहाँ आम नागरिक से लेकर सरकारी एजेंसियाँ तक, हर कोई सतर्क रहे.
हमें हर उस ईमेल, लिंक या ऐप से संदेह करना सीखना होगा, जो "बहुत भरोसेमंद" लगता है. क्यूँकि आज का दुश्मन सामने से नहीं आता—वो हमारे बीच से, हमारी भाषा में, हमारे भरोसे को ओढ़े हुए आता है.
कलयुग के इस डिजिटल युग में, हैकर्स महज तकनीकी खिलाड़ी नहीं—वे सत्ता, डर और अविश्वास के सूत्रधार बन चुके हैं. जैसे त्रेता युग में रावण के हर सिर को काटने के लिए एक राम चाहिए था, वैसे ही आज हर साइबर हमले से लड़ने के लिए एक जागरूक, जिम्मेदार और तकनीकी रूप से शिक्षित नागरिक की आवश्यकता है.
यह लड़ाई अब केवल तकनीकी विशेषज्ञों की नहीं रही—यह हर उस व्यक्ति की है, जिसके पास मोबाइल, इंटरनेट और डेटा है. इसलिए, आज का डिजिटल राम वही है जो पहचान लेता है कि कौन अपने चेहरे के पीछे किसी और का इरादा छिपाए बैठा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-



