लद्दाख में बवाल- प्रदर्शनकारियों ने BJP ऑफिस में लगाई आग, लेह में सड़कों पर उतरे हजारों छात्र

लद्दाख में बवाल- प्रदर्शनकारियों ने BJP ऑफिस में लगाई आग, लेह में सड़कों पर उतरे हजारों छात्र

प्रेषित समय :14:33:31 PM / Wed, Sep 24th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

लेह. लद्दाख: लेह-लद्दाख की शांत वादियों में आज 24 सितम्बर बुधवार को माहौल गरमा गया. यहां हज़ारों की संख्या में छात्र और स्थानीय लोग अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आए, जिसके बाद उनकी पुलिस से झड़प हो गई. इस दौरान जमकर हंगामा हुआ, पत्थरबाज़ी हुई और गाडिय़ों में आग भी लगा दी गई.

दरअसल ये कहानी शुरू होती है मशहूर शिक्षाविद और पर्यावरणविद सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल से. सोनम वांगचुक लेह-लद्दाख के लोगों के अधिकारों के लिए लंबे समय से आवाज़ उठा रहे हैं और इसी सिलसिले में वे भूख हड़ताल पर बैठे हैं. उनके समर्थन में ही बुधवार को एक बड़ी रैली निकाली गई, जिसमें ज़्यादातर छात्र शामिल थे. जब ये रैली आगे बढ़ रही थी, तो प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच टकराव हो गया. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर फेंके और आरोप है कि उन्होंने सीआरपीएफ की एक गाड़ी समेत कई गाडिय़ों में आग लगा दी. भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस को भी लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले छोडऩे पड़े. विरोध प्रदर्शन के दौरान लेह में भाजपा कार्यालय में आग लगा दी गई.

इसलिए प्रदर्शन कर रहे हैं लोग

आपको याद होगा कि 5 अगस्त 2019 को सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया था- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख. तब लद्दाख के लोगों को उम्मीद थी कि इससे उनका विकास होगा. लेकिन अब उन्हें डर है कि अपनी ज़मीन, पहचान और संस्कृति खो देंगे.

 लद्दाख के लोगों की सरकार से ये चार बड़ी मांगें

लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले: वे चाहते हैं कि लद्दाख सिर्फ केंद्र के अधीन न रहे, बल्कि उसका अपना मुख्यमंत्री और अपनी विधानसभा हो, जैसे दूसरे राज्यों में होता है.
संविधान की छठी अनुसूची में शामिल हो: यह एक विशेष संवैधानिक दर्जा है जो आदिवासी क्षेत्रों की ज़मीन और संस्कृति की रक्षा करता है. इससे बाहरी लोग आसानी से वहां ज़मीन नहीं खरीद पाएंगे.

दो लोकसभा सीटें: लद्दाख एक बहुत बड़ा इलाका है, इसलिए वे लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग यानी कुल दो लोकसभा सांसद चाहते हैं.
जनजातियों को आदिवासी दजार्: वे चाहते हैं कि लद्दाख की जनजातियों को आधिकारिक तौर पर आदिवासी का दर्जा मिले ताकि उन्हें सरकारी योजनाओं और आरक्षण का लाभ मिल सके. फिलहाल, प्रशासन का कहना है कि स्थिति अब नियंत्रण में है. लेकिन इस घटना ने एक बार फिर लद्दाख के लोगों की चिंताओं और मांगों को पूरे देश के सामने लाकर रख दिया है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-