बिहार : गंगा किनारे होगा तिरुपति बालाजी मंदिर का निर्माण, तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के साथ किया समझौता

बिहार : गंगा किनारे होगा तिरुपति बालाजी मंदिर का निर्माण, तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के साथ किया समझौता

प्रेषित समय :14:44:50 PM / Sun, Sep 28th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पटना. बिहार में गंगा किनारे बसे ऐतिहासिक कस्बे मोकामा को अब धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के नए केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के साथ समझौता किया है. इसी संस्था के प्रबंधन में आंध्र प्रदेश का विश्वविख्यात तिरुपति बालाजी मंदिर संचालित होता है. सरकार ने मोकामा में लगभग 10 एकड़ भूमि मंदिर निर्माण के लिए उपलब्ध कराने की घोषणा की है.

अब तक उत्तर भारत और बिहार के श्रद्धालुओं को भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन के लिए आंध्र प्रदेश तक लंबा सफर करना पड़ता था. मंदिर बनने के बाद लोगों को अपने ही राज्य में दर्शन का अवसर मिलेगा. लाखों-करोड़ों भक्त यहां सीधे आकर पूजा-अर्चना कर पाएंगे. इससे न केवल आस्था मजबूत होगी बल्कि धार्मिक पर्यटन को नई दिशा मिलेगी.

नियमित रूप से होंगे धार्मिक अनुष्ठान

मंदिर निर्माण से मोकामा सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रहेगा. यहां नियमित रूप से धार्मिक अनुष्ठान, भजन-कीर्तन, आध्यात्मिक शिविर और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे. इससे स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ेगी और मोकामा का नाम राष्ट्रीय धार्मिक मानचित्र पर दर्ज होगा.

आर्थिक रूप से होगा क्षेत्र का विकास

आर्थिक दृष्टि से भी यह पहल मोकामा और आसपास के क्षेत्रों के लिए लाभकारी होगी. मंदिर बनने के बाद होटल, लॉज, रेस्टोरेंट, परिवहन और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में नए अवसर पैदा होंगे. हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. साथ ही, बिहार आने वाले श्रद्धालु न केवल बालाजी के दर्शन करेंगे, बल्कि राज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से भी परिचित होंगे. इससे बिहार की सकारात्मक छवि राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सशक्त होगी.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

विशेषज्ञों का मानना है कि यह परियोजना धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक गतिविधियों और पर्यटन को जोड़कर बिहार की पहचान को नई उड़ान देगी. गंगा किनारे स्थित मोकामा आने वाले समय में केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक समृद्धि का केंद्र बनकर उभरेगा. नीतीश सरकार की यह पहल राज्य के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है. यह केवल मंदिर निर्माण की योजना नहीं है, बल्कि बिहार को सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम साबित होगी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-