नई दिल्ली. देश में हवाई यात्रा करने वाले लाखों यात्रियों के लिए यह एक बड़ी राहत भरी खबर है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने हवाई यात्रा के नियमों में संशोधन करते हुए एक क्रांतिकारी मसौदा जारी किया है, जिसके तहत यदि कोई यात्री चिकित्सा आपातकाल (Medical Emergency) के कारण अपनी उड़ान रद्द करता है, तो एयरलाइंस को उसे पूरा किराया वापस (Full Airfare Refund) करना होगा या पूरी राशि का क्रेडिट नोट जारी करना होगा। यह प्रस्ताव भारतीय हवाई यात्रियों को एक बड़ी सुरक्षा प्रदान करता है, जो अक्सर अचानक आई स्वास्थ्य समस्याओं के कारण अपनी यात्रा रद्द करने पर बड़ी रकम खो देते हैं। DGCA का यह कदम हवाई यात्रा को और अधिक यात्री-हितैषी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
DGCA द्वारा जारी इस मसौदे में केवल चिकित्सा आपातकाल ही नहीं, बल्कि रिफंड प्रक्रिया से संबंधित कई अन्य बड़े बदलावों का भी प्रस्ताव किया गया है। इन प्रस्तावित नियमों के तहत, अब एयरलाइंस को यह सुनिश्चित करना होगा कि यदि यात्री ने किसी ट्रैवल एजेंट या ऑनलाइन ट्रैवल एग्रीगेटर (OTA) के माध्यम से टिकट बुक किया है, तो रिफंड की जिम्मेदारी एयरलाइन की होगी। अक्सर देखा जाता है कि एयरलाइंस और ट्रैवल एजेंट रिफंड की जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालते रहते हैं, जिससे यात्री भ्रमित होते हैं और उनका पैसा फँस जाता है। यह नया नियम एयरलाइंस को इस प्रक्रिया के लिए सीधे जिम्मेदार ठहराएगा, जिससे रिफंड की प्रक्रिया तेज और पारदर्शी होगी।
DGCA ने इस मसौदा प्रस्ताव को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित कर दिया है और सभी हितधारकों (Stakeholders) – जिनमें एयरलाइंस, ट्रैवल एजेंट और आम जनता शामिल हैं – से 30 नवंबर तक अपनी राय और सुझाव भेजने को कहा है। इन सुझावों पर विचार करने के बाद ही DGCA इन नियमों को अंतिम रूप देगा और आधिकारिक रूप से लागू करेगा। यह अवधि सुनिश्चित करती है कि अंतिम नियम बनाने से पहले उद्योग के सभी पहलुओं और यात्रियों की चिंताओं को ध्यान में रखा जाए।
वर्तमान में, यदि कोई यात्री उड़ान रद्द करता है, तो उसे टिकट रद्द करने के लिए एक बड़ी राशि कटौती (Cancellation Charges) के रूप में चुकानी पड़ती है। आपातकालीन स्थितियों में भी, एयरलाइनें अक्सर केवल सरकारी करों (Taxes) और ईंधन अधिभार (Fuel Surcharge) का एक हिस्सा ही वापस करती हैं, जबकि मूल किराया (Base Fare) या उसका एक बड़ा हिस्सा जब्त कर लिया जाता है। DGCA के नए प्रस्ताव में चिकित्सा आपातकाल की परिभाषा और उस स्थिति में रिफंड की शर्तों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाएगा। इस कदम से उन यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी जिन्हें अप्रत्याशित स्वास्थ्य कारणों से अपनी यात्रा छोड़नी पड़ती है।
इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (TAAI) ने इसका स्वागत किया है। उनका कहना है कि इससे ट्रैवल एजेंट्स पर अनावश्यक दबाव कम होगा और ग्राहकों का विश्वास प्रणाली में बढ़ेगा। दूसरी ओर, कुछ एयरलाइन कंपनियों के प्रतिनिधियों ने इस पर चुप साध रखी है, लेकिन उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि इन बदलावों से एयरलाइंस के राजस्व पर कुछ हद तक प्रभाव पड़ सकता है, खासकर उन कम लागत वाली एयरलाइनों पर जो रद्दीकरण शुल्क (Cancellation Fees) पर निर्भर करती हैं। हालाँकि, यह कदम ग्राहकों के अधिकारों को मजबूत करने और उपभोक्ता संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
प्रस्तावित नियमों के तहत, DGCA रिफंड की प्रक्रिया के लिए एक निश्चित समय सीमा भी तय कर सकता है, जिसके भीतर एयरलाइंस को रिफंड की राशि जारी करनी होगी, चाहे बुकिंग का माध्यम कोई भी रहा हो। यह सुनिश्चित करेगा कि एयरलाइंस रिफंड में अकारण देरी न करें। यह मसौदा नागरिक उड्डयन क्षेत्र में पारदर्शिता और यात्री केंद्रित सेवा के नए मानक स्थापित करने की ओर इशारा करता है, जो भविष्य में हवाई यात्रा के अनुभव को काफी सहज और सुरक्षित बना देगा। अब सभी की निगाहें 30 नवंबर की समय सीमा पर टिकी हैं, जिसके बाद DGCA इस ऐतिहासिक प्रस्ताव को अंतिम रूप देगा।
फ्लाइट में देरी या कैंसिल होने पर अन्य महत्वपूर्ण प्रस्ताव
DGCA के नए मसौदे में केवल मेडिकल इमरजेंसी रिफंड ही नहीं, बल्कि उड़ान में देरी (Delay) और रद्दीकरण (Cancellation) की स्थिति में यात्रियों को दिए जाने वाले मुआवजे और सुविधाओं को लेकर भी कई स्पष्ट और बड़े बदलावों का प्रस्ताव किया गया है:
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कनेक्टिंग फ्लाइट्स के लिए जिम्मेदारी: यदि कोई यात्री कनेक्टिंग फ्लाइट (Linking Flight) लेता है और पहली फ्लाइट में देरी के कारण उसकी दूसरी कनेक्टिंग फ्लाइट छूट जाती है, तो DGCA ने प्रस्ताव किया है कि एयरलाइन को ऐसे यात्री को मुआवजा देना होगा और अगली उपलब्ध उड़ान का टिकट बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के उपलब्ध कराना होगा। यह नियम उन यात्रियों के लिए बड़ी राहत है जो अक्सर एक ही एयरलाइन की दो उड़ानों के बीच फंस जाते हैं।
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प्रक्रिया में पारदर्शिता: DGCA ने इस बात पर जोर दिया है कि एयरलाइंस को फ्लाइट में देरी या रद्द होने के कारण और स्थिति के बारे में यात्रियों को वास्तविक समय (Real-Time) और स्पष्ट जानकारी प्रदान करनी होगी। सूचना छिपाने या अस्पष्ट जानकारी देने पर कार्रवाई की जा सकती है।
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होटल और भोजन की सुविधा: देरी की स्थिति में यात्री सुविधाओं (भोजन, जलपान, और लंबी देरी होने पर ठहरने की व्यवस्था) के प्रावधानों को और अधिक सख्त बनाया गया है। मसौदे में यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि यात्रियों को देर रात एयरपोर्ट पर न छोड़ दिया जाए और उन्हें अनिवार्य रूप से आवश्यक सुविधाएं मिलें।
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अनिवार्य वित्तीय मुआवजा: यदि एयरलाइन को उड़ान रद्द करने या देरी की सूचना यात्री को पर्याप्त समय पहले (उदाहरण के लिए 24 घंटे) नहीं दी जाती है, तो एयरलाइन को यात्री को वित्तीय मुआवजा (Financial Compensation) देने के लिए और अधिक जिम्मेदार बनाया जाएगा।
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वैकल्पिक उड़ान की व्यवस्था: उड़ान रद्द होने की स्थिति में, एयरलाइन को यात्री को उनकी पसंद के अनुसार पूरा रिफंड देने या बिना किसी अतिरिक्त लागत के किसी अन्य वैकल्पिक उड़ान की व्यवस्था करने के विकल्प को अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराना होगा।
ये प्रावधान यात्रियों के अधिकारों को सशक्त करते हैं और एयरलाइंस को सेवाओं के उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए मजबूर करते हैं।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-




