जबलपुर: शहर के एक बड़े हिस्से, खासकर बरेला थाना क्षेत्र के हिनोतिया भोई में, कथित तौर पर रोहिंग्या और बांग्लादेशी परिवारों द्वारा सरकारी जमीन पर अवैध रूप से डेरा डालने और कब्ज़ा करने के गंभीर आरोप सामने आने के बाद तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। यह मामला अब केवल स्थानीय अतिक्रमण का नहीं रहा, बल्कि इसने घुसपैठ और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े एक बड़े विवाद का रूप ले लिया है, जिसने पूरे शहर में उबाल ला दिया है। स्थानीय निवासियों और हिंदू संगठनों का दावा है कि हिनोतिया भोई इलाके में सरकारी संपत्तियों पर सुनियोजित तरीके से अवैध बस्तियां बसाई जा रही हैं।
आरोप है कि ये परिवार विदेशी नागरिक हैं जिनके पास भारतीय नागरिकता के कोई वैध दस्तावेज़ नहीं हैं। इन परिवारों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल ने स्थिति को अत्यंत गंभीर मानते हुए कड़ा रुख अपनाया है। संगठनों ने सोमवार को जिला प्रशासन और पुलिस को खुली चेतावनी जारी की है, जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि यदि 27 नवंबर 2025 तक प्रशासन इन सभी अवैध कब्जों को हटाने और कथित घुसपैठियों को क्षेत्र से बाहर निकालने की कार्रवाई शुरू नहीं करता है, तो दोनों संगठन कानून-व्यवस्था की परवाह किए बिना स्वयं कार्रवाई करने के लिए मजबूर होंगे। संगठनों का कहना है कि यह उनकी 'धर्म और राष्ट्र' की रक्षा की जिम्मेदारी है और वे किसी भी हाल में राष्ट्र-विरोधी तत्वों को शहर की शांत फिजा बिगाड़ने नहीं देंगे। यह पूरा मामला तब प्रकाश में आया जब हिनोतिया भोई क्षेत्र में एक बड़ी सरकारी ज़मीन पर तेज़ी से अवैध निर्माण और झुग्गियाँ बसती दिखीं। स्थानीय निवासियों का दावा है कि ये परिवार अचानक आए हैं और इनके पास भारतीय नागरिकता के पर्याप्त दस्तावेज़ नहीं हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि ये पड़ोसी देशों से आए हुए रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठिये हैं। यह आरोप लगाया जा रहा है कि इन लोगों ने यहाँ न केवल सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण किया है, बल्कि आस-पास के क्षेत्रों में असुरक्षा और भय का माहौल भी पैदा कर दिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस मुद्दे से संबंधित तस्वीरें और वीडियो लगातार वायरल हो रहे हैं, जिसके कारण यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करने लगा है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय पदाधिकारियों और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को एक आपातकालीन बैठक की। बैठक के बाद जारी किए गए एक संयुक्त बयान में, दोनों संगठनों ने कहा कि यह मामला केवल ज़मीन पर कब्ज़े का नहीं है, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा और जनसांख्यिकीय संतुलन को बिगाड़ने का एक सुनियोजित प्रयास है। विहिप के एक वरिष्ठ नेता ने स्पष्ट शब्दों में कहा, "हमें जानकारी मिली है कि ये घुसपैठिये संगठित रूप से यहाँ अपनी पैठ बना रहे हैं। प्रशासन इनकी पहचान और इनके अवैध ठिकानों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाया है। अगर 27 नवंबर की समय सीमा तक प्रशासन सख्त कदम उठाकर इन अतिक्रमणों को नहीं हटाता है और घुसपैठियों को वापस नहीं भेजता है, तो हमें धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए 'स्वयं' ही सड़कों पर उतरना पड़ेगा। पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए हिनोतिया भोई क्षेत्र का दौरा किया है। हालाँकि प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है कि वे इस अल्टीमेटम पर क्या कदम उठाएंगे। प्रशासन पर चौतरफा दबाव है कि वे धार्मिक संगठनों की चेतावनी को गंभीरता से लेते हुए, समय सीमा समाप्त होने से पहले ही अवैध कब्ज़े हटाने और घुसपैठियों की पहचान सुनिश्चित करने की कार्रवाई शुरू करें। यदि 27 नवंबर के बाद कोई टकराव होता है, तो शहर में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका है।




