नई दिल्ली. देशभर में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न (SIR) को लेकर बढ़ते विवादों के बीच बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई बेहद महत्वपूर्ण साबित हुई. बहस के केंद्र में थे-मतदाता सूची की शुद्धता, नागरिकता निर्धारण को लेकर आशंकाएं, फॉर्म भरने की बाध्यताएँ, चुनाव आयोग (ECI) के अधिकार, और राज्यों की जमीनी आपत्तियाँ. कार्यवाही के दौरान तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और बिहार से जुड़े कई संवेदनशील मुद्दे सामने आए, जिन पर अदालत ने तीखे सवाल भी किए और महत्वपूर्ण टिप्पणियां भी दर्ज कीं.
बिहार में नाम हटे, लेकिन आपत्तियाँ लगभग नहीं
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश सुर्या कांत ने बताया कि बिहार में हाल में हुए SIR के दौरान मतदाता सूची से बड़ी संख्या में नाम हटाए गए. लेकिन इसके बावजूद, “जिन लोगों को शिकायत होनी चाहिए थी, वे सामने ही नहीं आए. हम ढूंढते रह गए, कोई आया ही नहीं.”
CJI ने कहा कि ज़मीन पर उतना प्रभाव नहीं दिखा, जितनी आशंकाएं याचिकाओं में जताई गई थीं—यह टिप्पणी SIR विरोधी पक्षों की दलीलों के विपरीत मानी गई.
SIR पर सबसे अधिक सवाल
सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही का मुख्य केंद्र उन याचिकाओं पर रहा, जिनमें 28 अक्टूबर को घोषित SIR के दूसरे चरण को चुनौती दी गई है. इसमें तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सहित 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण शामिल है—एक प्रक्रिया जो लगभग 51 करोड़ मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है.
अदालत पहले ही DMK, CPI(M), कांग्रेस और MDMK के प्रमुख वाइको की याचिका पर नोटिस जारी कर चुकी है. तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की हाई कोर्टों में चल रही संबंधित कार्यवाही को भी फिलहाल रोका गया है.
ECI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि SIR एक वैधानिक और आवश्यक प्रक्रिया है, जिसे मतदाता सूचियों की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है.
कपिल सिब्बल की कड़ी आपत्तियाँ
पश्चिम बंगाल और केरल की ओर से बहस करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा,
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“यह मामला लोकतंत्र का भविष्य निर्धारित करेगा.”
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“मतदाता सूची समावेशी होनी चाहिए, बहिष्करणकारी नहीं.”
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“देश में करोड़ों अशिक्षित महिलाएँ और मजदूर हैं, जिन्हें फॉर्म भरने की औपचारिकता नहीं आती.”
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“आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है.”
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“BLO यह तय नहीं कर सकता कि कौन नागरिक है और कौन नहीं.”
सिब्बल ने चेताया कि दो माह में करोड़ों लोगों का पुनरीक्षण असंभव है और इससे बड़े पैमाने पर लोग सूची से बाहर रह जाएंगे.
EC का पक्ष-हम सिर्फ पोस्ट ऑफिस नहीं
न्यायमूर्ति जॉयमल्या बागची ने भी कहा कि चुनाव आयोग सक्रिय संवैधानिक संस्था है, जो केवल फॉर्म स्वीकार करने वाला “निष्क्रिय डाकघर” नहीं.
ECI ने कहा:
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“दस्तावेज़ों की जांच हमारी संवैधानिक शक्ति है.”
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“SIR इसी अधिकार के तहत किया जा रहा है.”
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“हम नागरिकता तय नहीं कर रहे, केवल पात्रता की जांच कर रहे हैं.”
केरल और तमिलनाडु
ECI का दावा:
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“केरल में 99% एन्यूमरेशन फॉर्म वितरित हो चुके हैं.”
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“70% फॉर्म डिजिटाइज भी हो चुके हैं.”
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“SEC और जिला कलेक्टरों के साथ समन्वय में कोई समस्या नहीं.”
लेकिन तमिलनाडु पक्ष ने कहा:
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“EC ने और राज्य ने पूरी तरह अवास्तविक समयसीमा तय की है.”
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“साइक्लोन की चेतावनी है, स्थानीय चुनाव भी चल रहे हैं.”
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“22 दिन में सिर्फ 50% डिजिटाइजेशन हुआ; बाकी आठ दिन में कैसे होगा?”
पश्चिम बंगाल और केरल की गंभीर आपत्तियाँ
सिब्बल ने बताया—
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BLO रोज़ाना 50 फॉर्म बाँट रहे हैं,
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4 दिसंबर के बाद केवल 10 फॉर्म प्रतिदिन बाँटने की अनुमति होगी,
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“यह मनमानी है, इसका क्या औचित्य है?”
ECI ने आरोप लगाया:
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“राजनीतिक दल प्रतिरोध कर रहे हैं और ज़मीन पर SIR में बाधा पहुँचा रहे हैं.”
दिल्ली की खराब हवा भी आई चर्चा में
दोपहर सत्र शुरू होते ही CJI ने कहा कि शाम को टहलने के बाद उन्हें “पूरी रात परेशानी हुई.”
सिब्बल ने सुझाव दिया कि सुनवाई ऑनलाइन की जाए. CJI ने कहा—बार से चर्चा करके निर्णय लिया जाएगा.
दिन भर की सुनवाई: क्या हुआ?
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सुप्रीम कोर्ट ने केरल SIR स्थगन याचिका पर ECI को नोटिस जारी किया.
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TN में SIR के खिलाफ Vaiko की याचिका भी मुख्य मामले के साथ जोड़ी गई.
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पश्चिम बंगाल SEC और सरकार को जवाब दायर करने का निर्देश.
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मुख्य बहस अब 2 बजे से शुरू करने और गुरुवार को जारी रखने का संकेत.
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ECI ने विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए समय माँगा.
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याचिकाकर्ताओं ने कहा—“हम आज ही मुख्य मुद्दे पर बहस को तैयार हैं.”
बहस का केंद्र
सुप्रीम कोर्ट में जारी यह बहस पूरी तरह उस मूल अधिकार से जुड़ी है जिसकी बदौलत भारत की लोकतांत्रिक संरचना खड़ी है—मताधिकार.
अब अदालत यह तय करेगी कि—
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क्या SIR मतदाता सूची को शुद्ध करने की समावेशी और वैधानिक प्रक्रिया है,
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क्या यह बड़े पैमाने पर मतदाताओं को सूची से बाहर कर देने का जोखिम पैदा करती है.
अगली सुनवाई में इन सवालों पर निर्णायक बहस होने की उम्मीद है.
सुनवाई समाप्त, मुख्य बहस जारी रहेगी
सुनवाई शाम करीब 3:50 बजे खत्म हुई. अदालत ने संकेत दिया कि मुख्य मुद्दों पर बहस कल भी जारी रह सकती है.
सिब्बल ने कहा कि याचिकाकर्ता तैयार हैं और आज ही मुख्य मुद्दे पर बहस हो सकती है, लेकिन चुनाव आयोग ने विस्तृत हलफनामा दायर करने के लिए समय की मांग की.
सुप्रीम कोर्ट में यह पूरी बहस विशुद्ध रूप से जनता से जुड़े उस मूल अधिकार पर केंद्रित है, जो लोकतंत्र की नींव है—मताधिकार.
अब अदालत अगले चरण में यह तय करेगी कि चुनाव आयोग द्वारा शुरू किया गया यह SIR—
वैधानिक और समावेशी प्रक्रिया है या बड़े पैमाने पर मतदाता बहिष्कार का खतरा पैदा करने वाला कद




