जबलपुर में IMA का बड़ा खुलासा एंबुलेंस माफिया, निजी अस्पतालों के गठजोड़ से मरीजों की खुली लूट

जबलपुर में IMA का बड़ा खुलासा एंबुलेंस माफिया, निजी अस्पतालों के गठजोड़ से मरीजों की खुली लूट

प्रेषित समय :20:22:31 PM / Mon, Dec 8th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर। मरीजों को जीवनदायिनी सेवा देने का दावा करने वाली एंबुलेंस सेवा मध्य प्रदेश के बड़े शहरों, खासकर जबलपुर में, अब खुलेआम लूट का जरिया बन चुकी है। इस सनसनीखेज सच से पर्दा उठाया है इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने, जिसके अध्यक्ष डॉ. अमरेंद्र पांडे ने एक वीडियो जारी कर एंबुलेंस माफिया और चुनिंदा निजी अस्पतालों के बीच चल रहे संगठित गठजोड़ की सारी परतें खोल दी हैं। डॉ. पांडे का दावा है कि यह माफिया न सिर्फ मरीजों के परिजनों की मजबूरी का फायदा उठा रहा है, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं को भी पलीता लगा रहा है। उन्होंने सीधे तौर पर सरकार से इस गंभीर मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है और कहा है कि अगर जल्द ही कोई दखल नहीं दिया गया, तो उन्हें न्याय के लिए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।

IMA अध्यक्ष डॉ. अमरेंद्र पांडे ने अपने वीडियो संदेश में स्पष्ट किया कि जबलपुर समेत पूरे प्रदेश में एंबुलेंस माफिया बेलगाम हो चुका है। उन्होंने हाल ही में जबलपुर में हुई एक बस दुर्घटना का उदाहरण दिया, जिसमें घायल हुए मरीजों को नियमानुसार सरकारी सुविधा से संचालित होने वाली 108 एंबुलेंस के जरिए सरकारी अस्पताल (मेडिकल कॉलेज) पहुंचाया जाना था। लेकिन चौंकाने वाली बात यह हुई कि इन मरीजों को सरकारी अस्पताल न ले जाकर, उन्हें जानबूझकर एक चुनिंदा निजी अस्पताल में पहुंचा दिया गया। डॉ. पांडे ने जोर देकर कहा कि यह कोई इकलौती घटना नहीं है; एंबुलेंस माफिया हर गंभीर मरीज को ऐसे ही कुछ निजी अस्पतालों की ओर मोड़ रहा है, जहां मरीजों के इलाज के नाम पर जमकर आर्थिक लूट चल रही है। IMA का सबसे गंभीर आरोप यह है कि एंबुलेंस चालकों को निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों को लाने के एवज में मोटी कमीशन दी जाती है। डॉ. अमरेंद्र पांडे के अनुसार, "कई मामलों में तो एंबुलेंस चालक को निजी अस्पताल ₹50 हजार तक का भुगतान कर देता है और इस मोटी रकम को बाद में मरीज के बिल में जोड़कर उससे वसूल लिया जाता है।" इस गठजोड़ की वजह से न सिर्फ मरीजों को अत्यधिक महंगा इलाज करवाना पड़ रहा है, बल्कि वे उन सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के लाभ से भी वंचित हो रहे हैं, जो उनके लिए उपलब्ध हैं। डॉ. पांडे ने चेतावनी दी है कि चूंकि जबलपुर के कई निजी अस्पतालों में मरीजों का सरेआम शोषण हो रहा है, इसलिए अब उन्हें सरकार से कोई उम्मीद नहीं बची है और वे शीघ्र ही जनहित याचिका लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।हालांकि, इस पूरे मामले में जबलपुर के सीएमएचओ डॉ. संजय मिश्रा की प्रतिक्रिया भी सामने आई है, जिसने इस समस्या की प्रशासनिक लाचारी को उजागर किया है। डॉ. मिश्रा ने IMA अध्यक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दे से सहमति जताई, लेकिन अपनी बेबसी जाहिर करते हुए कहा कि उनके हाथ में कुछ भी नहीं है। उनका तर्क है कि जब भी ऐसे मामलों में पीड़ित मरीज के परिजनों से शिकायत करने के लिए बात की जाती है, तो वे आगे आकर कोई शिकायत दर्ज नहीं कराते। इसके अलावा, 108 एंबुलेंस सेवा भी सीधे तौर पर स्वास्थ्य विभाग के नियंत्रण में नहीं है, क्योंकि इसका ऑपरेटिंग सिस्टम भोपाल से संचालित होता है। सीएमएचओ ने साफ कहा कि जब तक उनके पास कोई लिखित शिकायत नहीं आती, तब तक वे एंबुलेंस चालकों या निजी अस्पतालों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सकते। यह पहली बार नहीं है जब 108 एंबुलेंस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं। बीते दिनों जबलपुर में एक डंपर के ऑटो पर पलटने की दुखद घटना हुई थी, जिसमें सात लोग घायल हुए थे। उस समय मौके पर पहुंचे कलेक्टर ने खुद अपनी निगरानी में 108 एंबुलेंस के जरिए मरीजों को सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए रवाना करवाया था। लेकिन निर्देश के बावजूद, 108 एंबुलेंस के ड्राइवर मरीजों को सरकारी अस्पताल के बजाय निजी अस्पताल लेकर चले गए थे। इस घटना के बाद 108 एंबुलेंस के एक सुपरवाइजर सहित कुछ ड्राइवरों को सेवा से हटाया भी गया था, लेकिन सीएमएचओ डॉ. मिश्रा ने बताया कि जब पुलिस ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की तैयारी की, तब भी मरीज के परिजनों ने अपने बयान दर्ज कराने से इनकार कर दिया, जिसके कारण सख्त कार्रवाई नहीं हो पाई।

ये घटनाएँ, चाहे वह बस पलटने वाली हो या डंपर दुर्घटना की, स्पष्ट करती हैं कि एंबुलेंस माफिया का प्रभाव इतना गहरा है कि पीड़ित परिजन भी शायद किसी दबाव या डर के कारण शिकायत दर्ज कराने से पीछे हट जाते हैं। इस संगठित लूट के खिलाफ सख्त कार्रवाई न होने का खामियाजा अंततः आम जनता को भुगतना पड़ रहा है, जो आपातकाल में स्वास्थ्य सुविधा की तलाश में दर-दर भटकने और आर्थिक शोषण का शिकार होने को मजबूर है। ऐसे में, IMA द्वारा हाई कोर्ट जाने की तैयारी इस गंभीर समस्या के समाधान की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हो सकती है, जिसकी ओर सरकार और प्रशासन को तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-