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एमपी: विद्युत कंपनियों में कर्मचारियों-अफसरों के साथ भेदभाव, पीईईए 19 जनवरी से करता आ रहा आंदोलन अब होगा उग्र

एमपी: विद्युत कंपनियों में कर्मचारियों-अफसरों के साथ भेदभाव, पीईईए 19 जनवरी से करता आ रहा आंदोलन अब होगा उग्र

जबलपुर. मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों में वर्ष 2006 एवं उसके बाद नियुक्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ हो रहे भेदभाव एवं असमानता को लेकर पॉवर इंजीनियर्स एवं इम्प्लाइज एसोशिएसन (पीईईए) के तत्वाधान में 19 जनवरी से आंदोलन किया जा रहा है, लेकिन शासन-प्रशासन का ध्यान उनकी समस्याओं को  हल करने के लिए नहीं जा रहा है, यदि इसी तरह उनकी उपेक्षा की जाती रही तो यह आंदोलन गंभीर मोड़ भी ले सकता है. यह जानकारी पीईईए के  महासचिव अजय कुमार मिश्रा ने पत्रकार वार्ता में दी.

श्री मिश्रा ने  बताया कि 1 फरवरी से मध्य प्रदेश की समस्त विद्युत कंपनियों में कंपनी द्वारा नियुक्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा शक्ति भवन जबलपुर के समक्ष 1 घंटे का लगातार धरना प्रदर्शन चल रहा है, परंतु राज्य शासन एवं कंपनी प्रबंधन की हठधर्मिता इतनी बढ़ गई है कि उनके द्वारा संगठन के प्रतिनिधि मंडल से न तो किसी प्रकार की वार्ता की जा रही है और न ही भेदभाव व असमानता को समाप्त किया जा रहा है जो भेदभाव एवं असमानता कंपनी द्वारा नियुक्त विद्युत कार्मिकों के साथ हो रही है.

पीईईए की प्रमुख मांगों के तहत कंपनी द्वारा नियुक्त विद्युत कार्मिकों को 50 प्रतिशत बिजली छूट न दिया जाना, कर्मचारियों की वेतन विसंगति, कंपनी द्वारा नियुक्त अधिकारियों की अधीक्षण अभियंता के पद पर पदोन्नति, उच्च वेतनमान पर मंडल के अधीक्षण अभियंता से अत्यंत ही कम वेतन, उच्च शिक्षा प्राप्त कर्मियों को उच्च पदों पर नियुक्ति नहीं किया जाना. इसके अलावा कंपनी कैडर का हक छीनकर विद्युत मंडल के कार्मिकों की पदोन्नति हेतु सीटें सुरक्षित रखना, ट्रांसमिशन कंपनी में आईटीआई होल्डर को क्लास -4 में भर्ती करना, जबकि क्लास-3 में रखना चाहिये. कई दशकों से फिन्ज बेनेफिट्स, नाईट शिफ्ट, रिस्क अलाउंस, कन्वेंस अलाउंस पुनरीक्षित नहीं किये गये हैं. सी-ऑफ का भुगतान सातवें वेतनमान से नहीं हो रहा है. 125 घंटे ओटी नहीं मिल रही है इत्यादि प्रमुख मांग है.

एसोसिएशन के महासचिव अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि कंपनी कैडर के अधिकारियों एवं कर्मचारियों से भेदभाव को लेकर 20 दिन से चल रहे धरना के पश्चात कंपनी द्वारा नियुक्त समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी 21 फरवरी को एक दिवसीय अनशन करेंगे. उसके बाद 23 फरवरी को कार्य बहिष्कार करेंगे. उसके बाद भी वार्ता के माध्यम से शासन समाधान नहीं करता है, तो 72 घंटे की नोटिस देकर अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार किया जायेगा. जिसमें किसी भी प्रकार के संभावित औद्योगिक अशांति एवं विद्युत उत्पादन, वितरण, जनरेशन की व्यवस्था बाधित होने पर समस्त जवाबदारी राज्य शासन एवं कंपनी प्रबंधन की होगी. पत्रकार वार्ता में नितिन सेन, सुनील पाल आदि उपस्थित रहे.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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