नज़रिया. किसान आंदोलन तेजी से शतक के करीब पहुंच रहा है तथा किसानों और केन्द्र सरकार, दोनों की ओर से समाधान की कोई राह नजर नहीं आ रही है.
खबर है कि भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने चेतावनी दी है कि अगर क़ानूनों को वापस नहीं लिया गया तो 40 लाख ट्रैक्टरों के साथ संसद तक मार्च निकाला जाएगा.
उनका साफ कहना था कि- केन्द्र सरकार तीनों कानून वापस ले, एमएसपी का कानून बनाए ओर इसके बात कमेटी बनाए जिससे बात चलती रहेगी.
उधर, इस संबंध में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि अगर किसान कृषि क़ानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और इस दौरान संयुक्त समिति के माध्यम से मतभेद सुलझाने की केंद्र की पेशकश पर विचार करने को तैयार हों तो सरकार आंदोलनरत किसानों के साथ बातचीत को तैयार है.
याद रहे, सरकार और किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों के बीच अब तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है और अंतिम बातचीत 22 जनवरी 2021 को हुई थी. इस 26 जनवरी 2021, गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के बाद दोनों पक्षों में बातचीत बंद हो गई.
कुछ समय से दिल्ली की सीमा पर भी किसानों की संख्या कम हो गई है, लेकिन किसान आंदोलन की लहर यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान आदि राज्यों के गांवों तक पहुंच गई है. यही नहीं, अब इसमें राजनीतिक दलों की एंट्री भी हो गई है.
यदि किसान आंदोलन का शीघ्र समाधान नहीं निकला तो आनेवाले समय में बीजेपी को कई राज्यों में सियासी नुकसान उठाना होगा!
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-किसान नेताओं की अपील के बाद भी नहीं माने किसान, गेहूं की फसल पर चलाया ट्रैक्टर
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