प्रदीप द्विवेदी.
अनुपम खेर जितने बेहतर कलाकार हैं, उतने ही शानदार विचार भी शेयर करते रहे हैं. लेकिन, लगता है अब उनका नजरिया बदल रहा है, जीवन का सारांश बदल रहा है.
अभी उन्होंने बेहद चौंकाने वाला ट्वीट किया- अगर देश बेचने वाले एक हो सकते हैं....
तो देश बचाने वाले एक क्यों नहीं हो सकते?
जाहिर है, उनके अनुभव ने कुछ बदलाव के संकेत दिए हैं.
कुछ समय पहले उन्होंने ट्वीट किया था कि- यदि लक्ष्य ना मिले तो.... रास्ते बदलो, क्योंकि वृक्ष अपनी पत्तियां बदलते हैं.... जड़े नहीं...
अनुपम खेर का यह भी कहना था कि- रिश्तों के बाजार में.... आजकल वो लोग हमेशा, अकेले पाए जाते हैं ... जो दिल और ज़ुबान के, सच्चे होते हैं....
लेकिन, वे यह भी कह रहे हैं कि- ठोकरें खाकर भी न संभले तो मुसाफिर का नसीब, वरना पत्थरों ने तो अपना फर्ज निभा ही दिया था.
फिर भी वे निराश नहीं है, कहते हैं- जो यही सोचकर भयभीत रहता है कि कहीं हार ना जाए, वो निश्चित रूप से हारेगा.
इसीलिए, उन्होंने सबसे ऊपर ट्वीट रखा है- अपनी ज़िंदगी जियो दोस्तों, लोगों के हिसाब से ज़िंदगी जियोगे, तो ना अपने रहोगे न लोगों के!
https://twitter.com/AnupamPKher/status/1364807026346516481
Loading...Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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