सशस्त्र बलों में पिछले 7 सालों में अब तक लगभग 800 जवानों ने की आत्महत्या- केंद्र सरकार की रिपोर्ट

सशस्त्र बलों में पिछले 7 सालों में अब तक लगभग 800 जवानों ने की आत्महत्या- केंद्र सरकार की रिपोर्ट

प्रेषित समय :08:40:04 AM / Tue, Mar 23rd, 2021

नई दिल्ली। सशस्त्र बलों में 2014 से अब तक यानी पिछले सात सालों में लगभग 800 जवानों ने आत्महत्या की है. ये जानकारी केंद्र सरकार द्वारा दी गई है. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने ये भी कहा कि सशस्त्र बलों में तनाव संबंधी मुद्दों से बेहतर तरीके से निपटने के लिए सभी उपाय किए जा रहे हैं.

पिछले सात सालों में सेना, नौसेना और भारतीय वायुसेना के लगभग 800 कर्मियों ने आत्महत्या की जबकि फ्रेट्रिसाइड के 20 मामले सामने आए.  ये आंकड़े देखते हुए एक बार फिर 14 लाख से ज्यादा सशस्त्र बलों में आत्महत्या रोकथाम के बेहतर उपाय और तनाव प्रबंधन नीतियों की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है.

सेना में 2014 के बाद से 591 सैनिकों ने की आत्महत्या

बता दें कि 2014 के बाद से 12 लाख से ज्यादा संख्या वाली सेना ने 591 सैनिकों को आत्महत्या करने की वजह से खो दिया. रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने सोमवार को राज्यसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि इस अवधि में  इंडियन एयरफोर्स में 160 और नौसेना में 36 जवानों ने खुद अपने हाथों अपनी सांसों की डोर तोड़ दी. रक्षा राज्य मंत्री ने बताया कि सशस्त्र बलों ने सैनिकों के तनाव प्रबंधन के उपाय किए हैं, लेकिन स्पष्ट रूप से बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है.

हर साल 100 वर्दीधारी कर्मचारी कर रहे हैं सुसाइड

रिपोर्ट के मुताबिक कई सालों से लगभग 100 वर्दीधारी कर्मचारी हर साल आत्महत्या कर रहे हैं. पाकिस्तान और चीन की सीमाओं के साथ-साथ आतंकवाद रोधी अभियानों में संरक्षित तैनाती, सैनिकों के मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य को काफी प्रभावित करती है. वहीं दूर-दराज के इलाकों में तैनात सैनिकों को परिवार द्वारा उठाई जा रही मुसीबत के समय घर वापसी न कर पाने के कारण भारी तनाव से गुजरना पड़ता है, जिनमें वित्तीय और वैवाहिक समस्याओं से लेकर संपत्ति विवाद और असामाजिक तत्वों द्वारा उत्पीडऩ तक शामिल हो सकता है.

सैनिकों के बीच तनाव दूर करने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं

अपने जवाब में नाइक ने कहा कि सरकार ने सैनिकों के बीच तनाव को दूर करने की दिशा में कई ठोस कदम उठाए हैं, इनमें राज्यों में ट्रेंड साइकोलॉजिकल काउंसलर की तैनाती, सैनिकों के लिए भोजन और कपड़ों की क्वालिटी में सुधार, तनाव प्रबंधन में प्रशिक्षण, मनोरंजक सुविधाओं का प्रावधान, बडी प्रणाली, रियायतें छोडऩा, सीमावर्ती क्षेत्रों से सैनिकों की आवाजाही की सुविधा और एक शिकायत तंत्र स्थापित करना शामिल है.

सेना में तनाव के मुद्दों से निपटने के लिए कई उपाय किए गए हैं

नाइक ने कहा कि कमांडरों द्वारा विभिन्न स्तरों पर तनाव और तनाव के मुद्दों से व्यापक तरीके से निपटा जा रहा है. उन्होंने कहा कि सेना में बहुस्तरीय रणनीति के हिस्से के रूप में विशिष्ट उपाय किए गए हैं, जिसमें स्ट्रेस मैनेजमेंट सेशन साइकाइट्रिक काउंसलिंग, और इस विषय पर कमांडरों की संवेदनशीलता शामिल है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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