सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- आरक्षण कब तक रहेगा, शिक्षा को बढ़ावा क्यों नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- आरक्षण कब तक रहेगा, शिक्षा को बढ़ावा क्यों नहीं

प्रेषित समय :07:57:03 AM / Tue, Mar 23rd, 2021

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मराठा कोटा मामले की सुनवाई के दौरान सोमवार को कहा कि राज्यों को शिक्षा को बढ़ावा देने और सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए संस्थानों की स्थापना के लिए और कदम उठाने चाहिए, क्योंकि सकारात्मक कार्रवाई सिर्फ आरक्षण तक सीमित नहीं है.

मराठा कोटा मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए राज्यों द्वारा कई अन्य कार्य किए जा सकते हैं. पीठ ने कहा, अन्य काम क्यों नहीं किए जा सकते. शिक्षा को बढ़ावा देने और अधिक संस्थानों की स्थापना क्यों नहीं की जा सकती? कहीं न कहीं इस विचार को आरक्षण से आगे लेकर जाना है. सकारात्मक कार्रवाई सिर्फ आरक्षण तक सीमित नहीं है.

पीठ में जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस रवीन्द्र भट शामिल हैं. झारखंड सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इसमें राज्य के वित्तीय संसाधनों, वहां स्कूलों और शिक्षकों की संख्या सहित कई मुद्दे शामिल होंगे. सुप्रीम कोर्ट शिक्षा और नौकरियों में मराठों को आरक्षण देने संबंधी 2018 महाराष्ट्र कानून की वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुई सुनवाई के दौरान सोमवार को महाराष्ट्र की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस पटवालिया ने इस मुद्दे पर राज्य में पहले हुए विरोध प्रदर्शनों का हवाला दिया और कहा कि यह एक ज्वलंत मुद्दा है.

उन्होंने कहा, यह वहां (महाराष्ट्र में) एक ज्वलंत मुद्दा है. उन्होंने कहा, एक रैली मुंबई में हुई थी और पूरा शहर में गतिरोध पैदा हो गया था. मामले में दलीलें अभी पूरी नहीं हुई है और मंगलवार को भी सुनवाई होगी. कोर्ट ने इससे पहले यह जानना चाहा था कि कितनी पीढिय़ों तक आरक्षण जारी रहेगा. न्यायालय ने 50 प्रतिशत की सीमा हटाए जाने की स्थिति में पैदा होने वाली असमानता को लेकर भी चिंता प्रकट की थी. महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा था कि कोटा की सीमा तय करने पर मंडल मामले में (शीर्ष अदालत के) फैसले पर बदली हुई परिस्थितियों में पुनर्विचार करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा था कि न्यायालयों को बदली हुई परिस्थितियों के मद्देनजर आरक्षण कोटा तय करने की जिम्मेदारी राज्यों पर छोड़ देनी चाहिए और मंडल मामले से संबंधित फैसला 1931 की जनगणना पर आधारित था. रोहतगी ने कहा था कि मंडल फैसले पर पुनर्विचार करने की कई वजह है, जो 1931 की जनगणना पर आधारित था. साथ ही, आबादी कई गुना बढ़ा कर 135 करोड़ पहुंच गई है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

उत्तर प्रदेश: हाईकोर्ट से योगी सरकार को झटका, साल 2015 को आधार मानकर ही पंचायत चुनाव में लागू होगा आरक्षण

बेरोजगारों को 5 हजार भत्ता देगी झारखंड सरकार, निजी क्षेत्र में मिलेगा 75 प्रतिशत आरक्षण

निजी क्षेत्र की नौकरियों में हरियाणा सरकार के 75 फीसद आरक्षण के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती

राशन डिपो अलॉटमेंट में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देगी हरियाणा सरकार

एससी ने सभी राज्य सरकारों से पूछा, क्या आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाई जा सकती है

निजी क्षेत्र में आरक्षण आज की जरूरत, केंद्र सरकार दलित विरोधी: तेजस्वी यादव

आरक्षण सूची जारी होते ही यूपी में आधी रात को 10 IAS अफसरों के तबादले

Leave a Reply