प्रदीप द्विवेदी. विदेशी बेवजह ही इतराते हैं कि उनके पास लाई टेस्टिंग मशीन है, अरे! हमारे पास तो सदियों से लाई टेस्टिंग मसाला है? बोले तो... भांग!
अच्छे-अच्छे घाघ भी भांग गले से उतरते ही सटासट सत्य उगलने लग जाते हैं कि... कौन, किसे प्रेम करता है? कौन, किसे गाली देना चाहता है? बॉस कैसा है? बीबी, मतलब... बड़ा बॉस कैसा है? पति मोया कैसा है? कौन, किस घोटाले में शामिल रहा? किसने चोरी करके किसी और पर आरोप मढ़ दिया? किस नेता को वोट दिया और वो कैसा निकल गया? जिससे प्यार किया वो हाथ से कैसे फिसल गया?
पुलिस को लाई टेस्टिंग मशीन से सच उगलवाने के लिए परमिशन की जरूरत होती है, लेकिन इसके लिए किसी परमिशन की आवश्यकता नहीं? पुलिसवाले किसी भी अपराधी को एक लोटा भांग पिला कर एक हजार सच्ची कहानियां उगलवा सकते हैं!
मैनेजर किसी भी माल्यामाल को ब्लाइंड लोन पकड़ाने से पहले उसके स्वागत में एक ग्लास भांग पेश करके जान सकते हैं कि वह लोन लेकर देश से उड़ तो नहीं जाएगा?
पासपोर्ट फार्म भरते वक्त एक कप भांग दी जाए तो पता चल सकता है कि अगला पासपार्ट लेकर, बैंक लोन डकार कर, इंडिया से मिस्टर इंडिया तो नहीं हो जाएगा?
वैसे, प्राचीनकाल से ही भांग, लव टेस्टिंग मसाले के रूप में प्रसिद्ध रही है, भरोसा नहीं हो तो... राजेश खन्ना का, जै जै शिवशंकर... कि अमिताभ बच्चन का... खइके पान बनारस वाला, देख लें!
सियासी सयानों का सुझाव है कि मतदान से पहले दो बूंद भांग गटका दी जाए तो सरकार लडख़ड़ा कर नहीं चलेगी? यही नहीं, नेताओं को भांग की प्रायोगिक शपथ दिला कर पदभार दिया जाए तो सत्ता का तो मजा ही आ जाए!
नौकरी के लिए लिखित परीक्षा, साक्षात्कार आदि तो होते ही हैं, यदि साथ में भांग परीक्षा भी हो जाए तो उम्मीदवार की असली उम्मीदों, अर्थात... असली इरादों का पता चल सकता है कि वह नौकरी क्यों करना चाहता है?
सवेरे की मीटिंग के बाद रिपोर्टर को दो बूंद भांग देकर भेजा जाए तो यकीन करें, बेहद नशीली ओर धमाकेदार रिपोर्ट लेकर आएगा? राज की बात तो यह है कि... होली के शुभ अवसर पर इस महान महाप्रसादी के कारण ही आज इतना सत्य सुविचार प्रस्तुत कर पाया हूं!
बीसवीं सदी के एक महान साहित्यकार ने भांग को लेकर जो कुछ लिखा था, वह मैं आज कानूनी कारणों से दोहराने में असमर्थ हूं, लेकिन उनसे क्षमायाचना सहित दूसरे शब्दों में उनकी भावना को प्रस्तुत कर रहा हूं...
जंग लड़े सो जंगोड़ी, भंग पिए जो भंगोड़ी!
तुम भी भंगोड़ी, हम भी भंगोड़ी, फिर काहे की तोड़ा-फोड़ी?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-गुलाल गोटा से होली को रंगीन बनाते हैं जयपुर के कलाकार
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