पल-पल इंडिया (पीके). नए कृषि कानूनों का राजस्थान में शुरू से ही विरोध हो रहा है. नए कृषि कानूनों के खिलाफ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार सकिय रहे हैं और अब किसान आंदोलन के शतक पर उनका कहना है कि- 100 दिन से आंदोलनरत हमारे किसानों की हिम्मत, दृढ निश्चय और बलिदान को सलाम. इस आंदोलन ने मोदी सरकार की निष्ठुरता को भी जगजाहिर कर दिया है. यह बेहद निराशाजनक है कि सरकार किसानों की जायज मांगों को सुनने के लिए अब तक तैयार नहीं है.
उधर, किसान संगठनों का धैर्य भी जवाब देने लगा है, लिहाजा वहां से भी केन्द्र सरकार के प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा है. किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि- बंगाल के किसान भी आंदोलन से जुड़ रहे है, गुजरात को आजाद करवाना है. गुजरात बंधन में है. सरकार उद्योगपतियों के हाथ की कठपुतली बनकर काम कर रही है, व्यापारी उन्हें जो कह रहे हैं, सरकार वही कर रही है. गोदाम पहले बनवा दिए, कानून बाद में बनाए हैं.
उनका तो यह भी कहना है कि देश में अगला जो आंदोलन होगा उसमें कहीं बैरिकेडिंग नहीं होनी चाहिए, अगर होगी तो इसे तोड़ा जाएगा. फसलों के फैसले किसान करेगा. किसान आंदोलन को लेकर उनका कहना है कि- ट्रैक्टर किसानों का टैंक है. लंबी लड़ाई के लिए एक गांव, एक ट्रैक्टर 15 किसान और 10 दिन चाहिए, यह फार्मूला है. कारों से आंदोलन नहीं चला करते.
बहरहाल, किसान आंदोलन को लेकर लंबे समय से सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत नहीं हो रही है, यही वजह है कि कुछ समय पहले तक गैर-राजनीतिक रहे किसान आंदोलन पर भी राजनीति का रंग चढ़ने लगा है!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अभिमनोजः अब किसान आंदोलन बढ़ाएगा बीजेपी की चुनावी मुश्किलें!
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