महेश भट्टः खरा है दर्द का रिश्ता तो फिर जुदाई क्या? जुदा तो होते हैं वो....

महेश भट्टः खरा है दर्द का रिश्ता तो फिर जुदाई क्या? जुदा तो होते हैं वो....

प्रेषित समय :07:30:50 AM / Sun, Apr 11th, 2021

प्रदीप द्विवेदी. दोस्ती का इससे बेहतर अहसास हो नहीं सकता है- खरा है दर्द का रिश्ता तो फिर जुदाई क्या? जुदा तो होते हैं वो खोट जिनकी चाह में है!

यकीनन, एक समय वह था, जब कोई दिन ऐसा नहीं होता था कि मैं, योगेश आचार्य और महेश भट्ट नहीं मिले हों, लेकिन समय बदला और हम दूर होते चले गए, यह बात अलग है कि दिली नजदीकी हमेशा कायम रही.

योगेश आचार्य गाता अच्छा था, तो महेश भट्ट लिखता अच्छा था, पर दोनों की उपलब्धियां समय की रेत पर लिखी कहानी बन कर रह गई. अलबत्ता, यह बात अलग है कि तीन दोस्तों की कहानी उस वक्त की सबसे दिलचस्प कहानी थी.

कुछ वर्षों पहले योगेश आचार्य दुनिया छोड़ कर चला गया, तो आज महेश भट्ट नहीं रहा, रह गया है, तो केवल अहसास, रह गई हैं, तो बस यादें!

प्रसिद्ध गीतकार मजरूह सुलतानपुरी का लिखा, महान गायक मोहम्मद रफी का गाया और संगीत के सितारे लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के संगीत से सजा दोस्ती का यह गीत दोस्ती के अहसास के लिए बेमिसाल है....

मेरा तो जो भी कदम है, वो तेरी राह में है,

के तू कहीं भी रहे तू मेरी निगाह में है.

खरा है दर्द का रिश्ता तो फिर जुदाई क्या,

जुदा तो होते है वो खोट जिनकी चाह में है.

छूपा हुआ सा मुझ ही में है तू कहीं ऐ दोस्त

मेरी हँसी में नहीं है, तो मेरी आह में है!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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