हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने कहा- तीन भागों में बंट गया है डबल म्यूटेंट वायरस

हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने कहा- तीन भागों में बंट गया है डबल म्यूटेंट वायरस

प्रेषित समय :13:17:10 PM / Mon, Apr 26th, 2021

हैदराबाद. देश के शीर्ष स्तर के वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस का डबल म्यूटेंट बी.1.617 तीन अलग-अलग रूप अख्तियार कर चुका है। वायरस का डबल म्यूटेंट मुख्य रूप से महाराष्ट्र और कुछ-कुछ देश के दूसरे हिस्सों में भी पाया गया है। सवाल उठता है कि क्या डबल म्यूटेंट में यह विभाजन क्या महामारी की तीव्रता में इजाफा करने वाला है? 

बहरहाल, हैदराबाद के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस सवाल का जवाब पाने के लिए और रिसर्च की आवश्यकता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि डबल म्यूटेंट के तीनों रूपों को क्रमशः बी.1.617.1, बी.1.617.2 और बी.1.617.3 नाम दिया गया है। सेंटर फॉर सेल्युलर ऐंड मॉलिक्युलर बायॉलजी के प्रसिद्ध वैज्ञानिक दिव्या तेज सोपती ने कहा कि अभी यह कहना उचित नहीं है कि डबल म्यूटेंट के ये तीनों रूप महामारी को बढ़ाने में कितना योगदान दे रहे हैं। उन्होंने यह जरूर माना कि डबल म्यूटेंट बी.1.167 तीन रूपों में विभाजित हो चुका है।

समझें तीनों रूपों की बड़ी बातें

उन्होंने कहा कि बी.1.167.1 विभाजित वर्ग का सबसे बड़ा रूप है जिसके अंदर मूल म्यूटेशन के दोनों तत्व- एल452आर और ई484क्यू मौजूद हैं। यहां तक कि म्यूटेशन का तीसरा तत्व वी382एल भी इसमें पाया जाता है। दिव्या ने बी.1.167.2 के संदर्भ में कहा कि इसमें ई484क्यू नहीं है। वहीं, बी.1.167.3 में मूल रूप से बी.1.596 के तत्व हैं जो संभवतः म्यूटेशन एन:पी67एस के कारण आया है।

बी.1.167 की पहचान 15 से ज्यादा म्यूटेशनों में की जाती है, लेकिन दो स्पाइक म्यूटेशनों- एल452आर और ई484क्यू के कारण इसने डबल म्यूटेंट का रूप धारण कर लिया। ये दोनों स्पाइक म्यूटेशन रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी धता बताने में समर्थ हैं जिस कारण इनकी संक्रामक क्षमता ज्यादा है। दिव्या ने कहा कि बी.1.617 के कुछ सिक्वेंस में ई484क्यू म्यूटेशन नहीं हैं। इसका मतलब है कि इसे अब डबल म्यूटेंट नहीं कहा जा सकता है।

क्या है ट्रिपल म्यूटेंट?

तो क्या इसे ट्रिपल म्यूटेंट कहा जाएगा? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि यह गुमराह करने वाला है क्योंकि इसमें कई म्यूटेशन हैं। इसे ट्रिपल म्यूटेशन इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि दो म्यूटेशनों के अलावा इसकी स्पाइक में वी382एल भी है। यह बी.1.167 का ही एक रूप है जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र और कुछ-कुछ अन्य राज्यों में पाया गया। उन्होंने कहा कि ट्रिपल म्यूटेंट के अब तक के व्यवहार से पता चलता है कि यह संभवतः कम खतरनाक है।

डबल म्यूटेंट पर अब तक सामने आई जानकारी

ध्यान रहे कि महाराष्ट्र और केरल के अलावा डबल म्यूटेंट तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी मौजूद है जहां 5 से 10 प्रतिशत कोरोना मरीजों में इसका असर दिखता है। महाराष्ट्र में तो हाल के 70% मरीज वायरस के डबल म्यूटेंट से ही संक्रमित हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स महाराष्ट्र के साथ-साथ देश के दूसरे राज्यों में नए स्थानीय वेरियेंट्स को नई लहर का जिम्मेदार मान रहे हैं, जिनमें बी.167 भी शामिल है। हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि संक्रमण की तेज दर, मृत्यु दर और गंभीर लक्षणों वाले मरीजों के अनुपात में वृद्धि के पीछे नए म्यूटेंट की कारगुजारी की पुष्टि के लिए और अध्ययन की जरूरत है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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