प्रदीप द्विवेदी. बंगाल में बीजेपी का जो प्रदर्शन होने जा रहा है, वह अचानक नहीं है. देश के वरिष्ठ संपादक रहे दिवंगत श्याम आचार्य ने 2014 में, जब बंगाल में बीजेपी की कुछ खास चर्चा नहीं थी, तब बताया था कि संघ की वर्षों की सक्रियता की बदौलत बंगाल की सोच तेजी से बदल रही है और आनेवाले समय में बंगाल में बड़ा बदलाव नजर आएगा.
जैसी कि चर्चा थी, पश्चिम बंगाल में अंतिम आठवें चरण की वोटिंग खत्म होने के बाद एग्जिट पोल के नतीजे आ गए हैं.
इस बार बंगाल में बीजेपी और टीएमसी में सीधी टक्कर रही है. बंगाल के लिए आए आधा दर्जन एग्जिट पोल में से कई किन्तु-परन्तु के साथ ज्यादातर में ममता बनर्जी को स्पष्ट बहुमत मिलने का अनुमान जाहिर किया गया है.
बंगाल में इस बार बीजेपी ने 294 में से 293 सीटों पर चुनाव लड़ा और एक सीट उसने ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन पार्टी को दी, जबकि पिछली बार यहां बीजेपी ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के साथ चुनाव लड़ा था. इस बार जीजेएम, तृणमूल के साथ है, टीएमसी 290 और जीजेएम 3 सीटों पर चुनाव लड़ा, तो एक सीट निर्दलीय को दी गई.
हालांकि, पश्चिम बंगाल में बीजेपी को नया सियासी आधार मिलने जा रहा है, लेकिन उसके गढ़ मध्यभारत में पार्टी का आधार खिसक रहा है.
बेरोजगारी, किसान आंदोलन, कोरोना लापरवाही के नतीजे में पीएम मोदी सरकार से लोगों की नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है और इसीलिए बीजेपी ने बंगाल में पूरी सियासी ताकत लगाई है, ताकि यदि वहां जीत मिल जाए तो कुछ सियासी राहत मिले.
बंगाल में सरकार किसकी बनेगी, यह तो भविष्य के गर्भ में है, परन्तु यह तय है कि बंगाल में बीजेपी बड़ी सियासी ताकत बन कर उभरेगी, क्योंकि....
एक- टीएमसी लंबे समय से सत्ता में है, लिहाजा सत्ता विरोधी लहर का नुकसान सीएम ममता बनर्जी को हो सकता है.
दो- नई जगह पर अच्छे दिनों की सियासी ठगी आसानी से हो सकती है.
तीन- वाम और कांग्रेेस गठबंधन ने ज्यादा असरदार प्रयास नहीं किए हैं, इसलिए यदि इनका मतदाता बीजेपी के पक्ष में गया, तो बीजेपी को बड़ा फायदा होगा, खासकर धर्म के आधार पर जो सियासी बदलाव आया है, उसका लाभ बीजेपी को मिल सकता है.
लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि- ये बंगाल अगर मिल भी जाए तो क्या है?
पहले दिन से कोरोेना संकट को लेकर पीएम मोदी सरकार ने जो लापरवाही दिखाई है, वह बेमिसाल है, इसलिए बंगाल की सत्ता भले ही बीजेपी हथिया ले, किन्तु जनता को जो कोेरोना जख्म मिले हैं, उनका भर पाना आसान नहीं है.
रही बात एग्जिट पोल की, तो राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों के लिए यह बेहद मजेदार और मनोरंजक कार्यक्रम हैै और नतीजे वैसे ही- जैसे तोता बताता है!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-आखिरी चरण की वोटिंग के बीच बंगाल में तीन जगहों पर बमबाजी, TMC-BJP में आरोप-प्रत्यारोप
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