नजरिया. पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस आदि की सरकारी लूट तब भी जारी थी जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बहुत कम थी, अब तो चुनाव हो गए हैं और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें भी बढ़ने वाली हैं, ऐसे में जनता पेट्रोल-डीजल के दाम की कमी के सपने नहीं देखे, तो ही अच्छा है.
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावी नतीजों के बाद से ही पेट्रोल डीजल के दाम में आग लगनी फिर से शुरू हो गई है. पिछले तीन दिनों से लगातार पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं और अनेक शहरों में पेट्रोल शतक के समाचार आ रहे हैं.
इस बीच जो रिपोर्ट सामने आई है उस पर भरोसा करें तो आने वाले समय में पेट्रोल की कीमतों में 5 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा की बढ़ोतरी हो सकती है.
खबर है कि क्रेडिट सुईस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर तेल कंपनियों ने मार्जिन को दुरुस्त करने, मतलब- अपने घाटे को दूर करने की कोशिश की, तो पेट्रोल के दाम में 5.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम में 3 रुपये लीटर तक की बढ़ोतरी हो सकती है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमत की वजह से अब कंपनियां अपना मार्केटिंग मार्जिन सुधारने पर ध्यान देंगी और यदि तेल कंपनियां अपना मार्जिन वित्त वर्ष 2019-20 के स्तर पर बनाए रखना चाहती हैं, तो उन्हें डीजल के खुदरा दामों में तीन रुपये प्रति लीटर तक और पेट्रोल की कीमत में 5.5 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी करनी होगी.
याद रहे, चुनावी माहौल में करीब दो महीने तक कंपनियों ने तेल के दाम में कोई वृद्धि नहीं की थी, लेकिन अब एक बार फिर से लगातार तेल के दाम बढ़ रहे हैं!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-इंटरनेशनल मार्केट में सस्ता हुआ क्रूड ऑयल, भारत में भी कम हो सकती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें
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