जबलपुर. प्रदेश की विद्युत कंपनियों में मैदानी बिजली तंत्र को जानने वाले कर्मचारियों की अत्याधिक कमी होती जा रही है. अनुभवी कर्मचारियों की अत्याधिक कमी होने से अधिकारी नियम विरुद्ध जाकर संविदा और आउटसोर्स कर्मियों से करंट का कार्य करा रहे हैं, जिससे दुर्घटनाओं के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है. इससे अनेक संविदा और आउटसोर्स कर्मी असमय मौत का शिकार भी बन चुके हैं.
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री, श्रम मंत्री तथा प्रमुख ऊर्जा सचिव को पत्र लिखकर बताया है कि हर माह विद्युत मंडल की सभी उत्तरवर्ती कंपनियों में लगातार सैकड़ों की तादाद में करंट का कार्य करने वाले लाइनमैन सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं, नियमित अनुभवी कर्मचारियों की कमी के कारण प्रदेश की बिजली व्यवस्था किसी दिन भी ठप हो सकती है.
उन्होंने बताया कि नियमित कर्मचारियों के बदले विद्युत कंपनियों में संविदा कर्मचारियों की भर्ती की गई थी, उनके अनुबंध में लिखा है कि करंट का कार्य नहीं करना है. साथ ही सभी कंपनियों में ठेका कंपनियों के द्वारा 30,000 से ज्यादा आउटसोर्स कर्मियों की भर्ती की गई है, लेकिन उनको भी करंट का कार्य करने का अधिकार नहीं है.
उनका कहना है कि नियमित अनुभवी कर्मचारियों की कमी होने के बाद उपभोक्ताओं की बंद बिजली को आखिर चालू कौन करेगा. मेंटेनेंस का कार्य कौन करेगा. मध्यप्रदेश शासन एवं सभी कंपनी प्रबंधन इतना बड़ी औद्योगिक संस्था को किस ओर ले जा रहे हैं. यह सब समझ से परे है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जबलपुर में नई बाईक लेकर घूमने निकले नाबालिग की सड़क दुर्घटना में मौत, दो गंभीर
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