नई दिल्ली. सरकार द्वारा आठ जून से सरसों में आयातित सस्ते तेल के मिलावट (ब्लेंडिंग) पर रोक लगाने के फैसले तथा भारत में आयात शुल्क कम किए जाने की अफवाहों के झूठा निकलने से विदेशों में खाद्य तेलों के दाम टूट गए. इसकी वजह से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सभी प्रमुख तेल तिलहनों के भाव नरमी रही.
जानकार सूत्रों ने कहा कि अफवाहों के झूठा साबित होने तथा मिलावट पर रोक लगने की खबर के कारण सीपीओ, चावल भूसी तेल और सोयाबीन डीगम की मांग गंभीर रूप से प्रभावित हुई और इनके भाव टूटते दिखे जिसका असर स्थानीय कारोबार पर भी हुआ और तेल तिलहनों के भाव नरमी दर्शाते बंद हुए. सीपीओ और सोयाबीन डीगम तेल की मांग प्रभावित होने से घरेलू बाजार में सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, बिनौला सहित विभिन्न तेल कीमतों में गिरावट देखी गई.
उन्होंने बताया कि मलेशिया में सीपीओ का भाव पिछले सप्ताह के 1,250 डॉलर प्रति टन से घटकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 1,160 डॉलर प्रति टन रह गया जबकि शिकागो और अर्जेन्टीना में सोयाबीन का भाव भी पिछले सप्ताह के 1,440 डॉलर प्रति टन से घटकर लगभग 1,380 डॉलर प्रति टन रह गया. देश में सोयाबीन की बिजाई के लिए इसके बेहतर दाने की उपलब्धता कम है जिसे बढ़ाने पर सोयाबीन की अगली पैदावार में काफी वृद्धि हो सकती है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-तेल कंपनियों ने फिर किया पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा
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