प्रदीप द्विवेदी. क्या पीएम मोदी की जगह मुख्यमंत्रियों के फोटो, 35 हजार करोड़ का हिसाब और यूपी सहित कई राज्यों के चुनावों के कारण जनता को मुफ्त वैक्सीन मिलेगी?
जैसी कि आशंका थी कोरोना का असर कम हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को संबोधित करने के लिए टीवी पर प्रकट हुए और दो बड़े ऐलान किए....
एक- 18 साल से सभी बड़ों को 21 जून से अब केंद्र सरकार मुफ्त में कोरोना का वैक्सीन देगा, मतलब.... राज्यों को अब इसके लिए कुछ भी खर्च नहीं करना है.
दो- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देश के 80 करोड़ गरीब लोगों को दिवाली तक तक मुफ्त राशन दिया जाएगा.
कोरोनाकाल में पीएम मोदी का देश के नाम ये नौवां संबोधन था, इससे पहले जब अप्रैल में हालात खराब होने शुरू हुए थे, तब 20 अप्रैल को पीएम मोदी प्रकट हुए थे, लेकिन इसके बाद में नजर नहीं आए.
जब युवाओं के वैक्सीनेशन की जिम्मेदारी मोदी सरकार ने राज्यों पर डाल दी थी, तो कई राज्यों ने वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट से मोदी की तस्वीर हटा कर मुख्यमंत्री की फोटो लगा दी, प्रचार-प्रेमी प्रधानमंत्री के लिए यह कड़ा सियासी झटका रहा.
हालांकि, पीएम मोदी का कहना था कि राज्यों की मांग पर वैक्सीनेशन व्यवस्था में बदलाव किया गया था, लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें झूठा करार दिया, गहलोत ने ट्वीट किया- इस प्रकार की असत्य खबरें फैलाई गई हैं कि 18 से 44 आयु वर्ग को वैक्सीन राज्यों द्वारा खरीद कर लगाने दी जाए. केन्द्र सरकार ने इस आयु वर्ग के वैक्सीनेशन के संबंध में राज्य से कोई चर्चा नहीं की एवं अपने स्तर पर फैसला किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जानकारी देनी चाहिए कि किन राज्यों ने 18 से 44 वर्ष आयु वर्ग के लिए वैक्सीन खरीदकर लगाने की मांग की थी? मेरी जानकारी में किसी राज्य ने ऐसी मांग नहीं की थी, लगता है पीएम के सलाहकारों ने उन्हें गलत जानकारी दी थी!
आप नेता संजय सिंह ने तो ट्वीट किया- जब सुप्रीम कोर्ट से फटकार लगी, 35 हजार करोड़ का हिसाब मांगा तो मजबूरी में प्रधानमंत्री ने फ्री वैक्सीन देने का वादा किया,
अब सवाल ये है की वैक्सीन के नाम पर जो अरबों रुपए जनता से वसूले गये, वो घोटाला था या नहीं?
सबसे बड़ी समस्या यूपी सहित विभिन्न राज्यों के चुनाव हैं. यदि यूपी हाथ से निकल गया, तो 2024 लोकसभा चुनाव से पहले ही सियासी संकट गहरा जाएगा.
नए कृषि कानूनों के कारण यूपी में पहले से ही सियासी समीकरण गड़बड़ाया हुआ है, कोरोनाकाल में भी यूपी के हालात बहुत खराब रहेे हैं, तो पश्चिम बंगाल चुनाव के नतीजों ने भी पीएम मोदी का पाॅलिटिकल मेकअप धो कर रख दिया है, ऐसे में जनता की नाराजगी चुनाव के नतीजों पर असर डाल सकती है, लिहाजा फ्री वैक्सीनेशन, मजबूरी में उठाया गया कदम है.
सियासी सयानों का मानना है कि फ्री वैक्सीनेशन मोदी सरकार का उपकार नहीं, जनता का अधिकार है!
https://twitter.com/ashokgehlot51/status/1401891570769481730
https://twitter.com/SanjayAzadSln/status/1401888991574593543
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को जानकारी देनी चाहिए कि किन राज्यों ने 18 से 44 वर्ष आयुवर्ग के लिए वैक्सीन खरीदकर लगाने की मांग की थी। मेरी जानकारी में किसी राज्य ने ऐसी मांग नहीं की थी। लगता है पीएम के सलाहकारों ने उन्हें गलत जानकारी दी थी। pic.twitter.com/mR9pJ2s0Or
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) June 7, 2021
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जब सुप्रीम कोर्ट से फटकार लगी 35 हज़ार करोड़ का हिसाब माँगा तो मजबूरी में प्रधानमंत्री जी ने फ़्री वैक्सीन देने का वादा किया।
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) June 7, 2021
अब सवाल ये है की वैक्सीन के नाम पर जो अरबों रु जनता से वसूले गये वो घोटाला था या नही?
कोविशील्ड से कोवैक्सीन की तुलना में बनती है ज्यादा एंटीबॉडी: अध्ययन
एम्स में शुरू हुआ बच्चों की कोवैक्सीन का ट्रायल, 28 दिन के अंतर से दिये जायेंगे दो टीके
सीएम केजरीवाल ने दिल्ली के 70 वार्डों में शुरू किया जहां वोट, वहां वैक्सीनेशन कैंपेन
भारत ने किया जी-7 की वैक्सीन पासपोर्ट पहल का विरोध, डॉ हर्षवर्धन ने कहा ऐसा करना भेदभाव होगा
निजी अस्पतालों को वैक्सीन बेचने के मामले में घिरी पंजाब सरकार, एक ही अस्पताल ने खरीदी थी 30,000 डोज
विदेशी कंपनी से हरियाणा पहुंचेगी कोरोना वैक्सीन, स्पुतनिक V की 6 करोड़ डोज
Leave a Reply