नई दिल्ली. दुनिया के अनेक देशों में कोरोना वायरस का संक्रमण को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं. इन्ही में से एक है वैक्सीन पासपोर्ट. अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कई विकसित देश इसे जारी करने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं यूरोपीय देशों ने भी अपने यहां वैक्सीन पासपोर्ट लागू करने का समर्थन किया है. लेकिन भारत ने वैक्सीन पासपोर्ट की पहल का विरोध किया है और इसे भेदभाव करार दिया है.
शुक्रवार को जी-7 की हुई वर्चुअल बैठक में भारत की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि कई विकासशील और पिछड़े देशों में वैक्सीन की उपलब्धता काफी कम है. ऐसे में यदि वैक्सीन को पासपोर्ट की तरह इस्तेमाल किया गया, तो उन देशों के लोग कहीं नहीं आ-जा पाएंगे. इस तरह की पहल बहुत ज्यादा भेदभावपूर्ण साबित हो सकती है.
हालांकि भारत जी-7 का हिस्सा नहीं है, लेकिन ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भारत को आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया है. इसमें ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया को भी गेस्ट कंट्री के तौर पर न्योता दिया गया था. जी-7 में अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान और इटली शामिल हैं
वैक्सीन पासपोर्ट एक तरह से आपका हेल्थ कार्ड होगा, जिसमें कोरोना वैक्सीनेशन से जुड़ी सभी जानकारी देनी अनिवार्य होंगी. मसलन आपको कोरोना वैक्सीन लगी है या नहीं. आपका कोरोना टेस्ट हुआ है या नहीं और ये पॉजिटिव है या नेगेटिव आदि.
गौरतलब है कि ये वैक्सीन पासपोर्ट विदेश यात्राओं के दौरान ही नहीं बल्कि किसी सार्वजनिक स्थान, स्टेडियम, दफ्तर, सिनेमा हॉल आदी में एंट्री लेते समय दिखाना भी अनिवार्य होगा. अगर आपका वैक्सीनेशन हुआ है तो आपको एंट्री दी जाएगी वरना आपको लौटा दिया जाएगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-विदेशी कंपनी से हरियाणा पहुंचेगी कोरोना वैक्सीन, स्पुतनिक V की 6 करोड़ डोज
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