पलपल संवाददाता, जबलपुर/बालाघाट. मध्यप्रदेश के जबलपुर संभाग के जिले बालाघाट में पुलिस ने 20 करोड़ रुपए की ऑनलाइन ठगी का खुलासा किया है, जिसमें दो आरोपी बालाघाट के भटेरा व किरनापुर के रहने वाले है, जिन्होने गिरोह के साथ मिलकर देश के 18 राज्यों में ठगी का जाल फैलाया. इनमें से एक युवक नागपुर रेलवे में इंजीनियर है जो अपने जीजा के साथ मिलकर ठगी का कारोबार कर रहा था.
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मनोज पिता टुंडीलाल राणा उम्र 35 वर्ष व हुकुमसिंह पिता योगीराज बिसेन 28 वर्ष आपस में जीजा साले है, जो ठगी के गिरोह से करीब दो वर्ष पहले जुडे रहे, जिसमें हुकुमसिंह ने भोपाल से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, जिसकी पिछले वर्ष रेलवे में नौकरी लग गई और वह नागपुर में पदस्थ रहा, इसके बाद भी वह अपने जीजा मनोज के साथ मिलकर ऑन लाइन ठगी के कारोबार से जुड़ा रहा. हुकुमसिंह फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया के जरिए इस नेटवर्क से जुड़ा, जो व्यापारियों को फर्जी तरीके से खरीदे गए मोबाइल सप्लाई करने और उनसे वसूली करते रहे, वसूली का काम मनोज राणा ही सम्हलता रहा, दोनों ने गिरोह से जुड़कर करीब 5 महीने में डेढ़ करोड़ रुपए का लेनदेन किया है.
इन राज्यों से पकड़े गए है आरोपी-
पुलिस अधिकारियों की माने तो आंध्रप्रदेश व झारखंड से 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, दो आरोपियों को बालाघाट से, वही एक आरोपी को ट्रांजिट रिमांड पर लिया गया है.
गिरोह के सदस्यों ने काम को आपस में बांट लिया था-
एमपी के बालाघाट, झारखंड व आंध्रप्रदेश के अलग अलग शहरों में गिरोह के सदस्यों के बीच आपस में काम बंटे हुए थे, झारखंड के देवधर में बैठे आरोपी ओटीपी से जुड़कर ठगी करते रहे, वहीं रांझी में साइबर ठगी का नेटवर्क रहा, बालाघाट में बैठे आरोपियों के पास सप्लाई का काम रहा.
रेलवे का इंजीनियर कमीशन पर करता रहा काम-
पुलिस अधिकारियों की माने तो बालाघाट निवासी हुकुमसिंह जो रेलवे में इंजीनियर है अपने जीजा मनोज राणा के साथ मिलकर कमीशन पर काम करता रहा, कमीशन में ही दोनों ने करोड़ रुपए का कारोबार कर लिया.
जबलपुर सहित अन्य शहरों के व्यापारी भी फंसे-
बताया गया है कि हुकुमसिंह व मनोज राणा बालाघाट सहित सिवनी, किरनापुर, गोदियां, जबलपुर सहित अन्य शहरों के मोबाइल कारोबारियों से मोबाइल हैंडसेट की डिमांड लेकर झारखंड में बैठे अपराधियों को सूचना देते थे. फिर ये लोग ओटीपी फर्जीवाड़ा कर लोगों के अकाउंट से फ्लिपकार्ट, अमेजन जैसी कमर्शियल कंपनियों से मोबाइल मंगाकर बालाघाट के आरोपियों को सप्लाई करते थे. एक बार में अलग-अलग ब्रांड के 25 से 30 महंगे मोबाइलों की सप्लाई होती थी. फिर व्यापारियों को फर्जी बिल के साथ मोबाइल बेचा जाता था. सभी मोबाइल बेचने के बाद जमा हुई राशि झारखंड में बैठे अपराधियों के बैंक खाते में जमा की जाती जिसका दोनों को 10 प्रतिशत कमीशन तक मिलता रहा.
अब तक 300 मोबाइल फोन, दस लाख रुपए बरामद-
बालघाट पुलिस ने विभिन्न जांच एजेंसियों की मदद से 20 करोड़ रुपए के इस फर्जीवाड़ा का खुलासा किया है, जिसमें मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश व झारखंड के 8 आरोपियों को हिरासत में लिया है, इनक ा देश के 18 राज्यों में नेटवर्क फैला है, पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 300 से अधिक मोबाइल फोन, दस लाख रुपए नगद बरामद किए है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मध्यप्रदेश की जेलों से कोरोना महामारी के चलते रिहा किये गये 4,500 कैदियों की पैरोल अवधि बढ़ी
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