चंडीगढ़. पंजाब में बिजली संकट अभी भी बरकरार है, जिसके चलते बड़े उद्योगों को 10 जुलाई तक यानी कि और तीन दिनों के लिए परिचालन बंद करने के लिए कहा गया है. पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने मध्य, उत्तर और पश्चिम क्षेत्रों में 100 किलोवाट से अधिक लोड का उपयोग करने वाले बड़े उद्योगों पर बिजली प्रतिबंध बढ़ाने के आदेश जारी किए हैं. सतत् आपूर्ति उद्योग को भी 8 जुलाई से 18 जुलाई तक स्वीकृत भार/अनुबंध भार का केवल 50 प्रतिशत उपयोग करने के लिए कहा गया है. इन इकाइयों को अभी तक अनुबंधित भार का केवल 30 फीसदी उपयोग करने की अनुमति है.
यहां तक कि पीएसपीसीएल कृषि भार में वृद्धि को पूरा करना जारी रखा है. प्रतिबंधों के कारण राज्य में औद्योगिक अर्थव्यवस्था बिगड़ती जा रही है. राज्य भर के उद्योगपति इससे होने वाले भारी नुकसान से दुखी हैं और कटौती करने के पीछे सरकार के तर्क पर सवाल उठा रहे हैं.
पंजाब स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष बदीश जिंदल ने सवाल किया है कि 50 श्रमिकों वाली एक इकाई को प्रतिदिन 35,000 रुपये के नुकसान का अनुमान है. इस तरह के नुकसान के बीच हम कब तक टिके रह सकते हैं. क्या वोट बैंक की राजनीति की वेदी पर अर्थव्यवस्था की बलि दी जानी चाहिए? इस धान के मौसम में राज्य की बिजली की औसत मांग बढ़कर औसतन 14500 मेगावाट हो गई है, जबकि आपूर्ति 13200 मेगावाट पर स्थिर रही है. चूंकि दैनिक अंतर 1300-1500 मेगावाट के बीच है, इसलिए राज्य बिजली उपयोगिता के पास कटौती करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
पीएसपीसीएल ने यह भी दावा किया है कि किसानों को बिजली आपूर्ति के घंटों में वृद्धि करने के लिए अपने विशेष प्रयासों को जारी रखा है और धान की बिजाई सम्बन्धी कार्यों के लिए राज्य भर में औसतन 10.3 घंटे बिजली आपूर्ति की गई है. पीएसपीसीएल के सीएमडी ए वेनू प्रसाद ने बताया कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कृषि क्षेत्र को निर्विघ्न बिजली आपूर्ति को सुनिश्चित बनाने के निर्देश दिए हैं और विभाग धान की बिजाई के लिए अधिक से अधिक बिजली की उपलब्धता को यकीनी बनाने के लिए 24 घंटे काम कर रहा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-पंजाब के गुरदासपुर में प्रेम प्रसंग को लेकर फायरिंग, एक ही परिवार के चार लोगों की मौत
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