प्रदीप द्विवेदी. देश के कई राज्यों में कांग्रेस बेहद ताकतवर है, लेकिन कांग्रेस के प्रादेशिक नेताओं की अनंत सियासी महत्वकांक्षाएं उसे लगातार कमजोर करती रही हैं.
यदि प्रादेशिक नेताओं की सियासी महत्वाकांक्षाएं नियंत्रित हो पाती, तो न तो कर्नाटक, मध्यप्रदेश जैसे राज्य कांग्रेस के हाथ से निकल पाते और न ही पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र से राजनीतिक रस्साकशी की खबरें आती.
कांग्रेस के असंतुष्ट बड़े-बड़े नेता भी अपने अकेले दम पर कोई चुनाव नहीं जीत सकते हैं, क्योंकि कांग्रेस की सबसे बड़ी ताकत ही गांधी परिवार है, लिहाजा प्रादेशिक नेताओं को सत्ता में आने के लिए तो गांधी परिवार का समर्थन चाहिए, इसलिए वे राहुल गांधी का समर्थन हासिल करने की कोशिश तो लगातार करते रहते हैं, लेकिन राहुल गांधी के किसी भी अभियान में सक्रिय समर्थन नहीं देते हैं?
यही वजह भी है कि कई राज्यों में कांग्रेस की सरकारें होने और प्रभावी संगठन होने के बावजूद देश में अकेले राहुल गांधी ही मोदी सरकार से टकराते नजर आते हैं?
ऐसा नहीं है कि बीजेपी में महत्वकांक्षी नेताओं की कमी है, लेकिन मोदी-शाह ने ऐसे नेताओं को सख्त अनुशासन से नियंत्रित कर रखा है और इसमें प्रेस-प्रबंधन की भी बड़ी भूमिका है.
देश का मीडिया- पंजाब, राजस्थान जैसे राज्यों की तो खूब चर्चा करता है, लेकिन कर्नाटक, बिहार जैसे राज्यों पर मौन धारण कर लेता है!
कितने आश्चर्य की बात है कि पंजाब में विधानसभा चुनाव करीब आते जा रहे हैं, लेकिन पंजाब के कांग्रेसी नेता गैर-कांग्रेसियों से लड़ने के बजाय आपस में ही उलझ रहे हैं?
पंजाब में कांग्रेस बेहद मजबूत है और सत्ता में उसकी वापसी लगभग तय है, लेकिन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के विवाद ने जीत पर सवालिया निशान लगा दिया है?
पंजाब के सीएम पर हमलावर कांग्रेस विधायक नवजोत सिंह सिद्धू शुरू से ही महत्वाकांक्षी रहे हैं, लेकिन उनकी यही महत्वाकांक्षा पंजाब में कांग्रेस के लिए सियासी परेशानी का सबब है!
नवजोत सिंह सिद्धू अपनी सियासी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, उनके सियासी इतिहास पर नजर डालें तो वे कांग्रेस के बाहर भी सियासी संभावनाएं तलाश सकते हैं.
खबर है कि तीन दिन पहले तक आप पर हमलावर सिद्धू ने अब उसकी तारीफ करके सबको चौंका दिया है, उन्होंने ट्वीट कर कहा कि- पंजाब में विपक्षी पार्टी आप ने हमेशा उनके विजन और काम को पहचाना है, 2017 में बेअदबी, ड्रग्स, किसान और करप्शन के मुद्दे हों या अब राज्य का मौजूदा बिजली संकट हो या फिर अब मैं पंजाब मॉडल पेश कर रहा हूं, वो जानते हैं कि वास्तव में पंजाब के लिए कौन लड़ रहा है?
कुछ ऐसा ही हाल राजस्थान का है, बीजेपी की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से अशोक गहलोत सरकार उतना परेशान नहीं है, जितना कांग्रेस के उप-मुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट से है?
क्या राजस्थान विधानसभा में सचिन पायलट के पास बहुमत है? यदि है, तो सीएम गहलोत को चुनौती देकर मुख्यमंत्री बन जाएं और यदि नहीं, तो वे कांग्रेस के लिए क्यों समस्याएं पैदा कर रहे हैं?
दरअसल, कमी राहुल गांधी में है, यदि वे सख्त अनुशासन से प्रादेशिक नेताओं को नियंत्रित नहीं करेंगे, तो देश में कांग्रेस का सियासी तमाशा यूं ही चलता रहेगा!
https://twitter.com/sherryontopp/status/1414858384411545604
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-Our opposition AAP has always recognised my vision & work for Punjab. Be it Before 2017- Beadbi, Drugs, Farmers Issues, Corruption & Power Crisis faced by People of Punjab raised by me or today as I present “Punjab Model” It is clear they know - who is really fighting for Punjab. https://t.co/6AmEYhSP67 pic.twitter.com/7udIIGkq1l
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) July 13, 2021
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