नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फ्रैंकलिन टेंपलटन के 6 म्यूचुअल फंड स्कीम बंद करने से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए एक बेहद अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि किसी म्यूचुअल फंड की डेट स्कीम को बंद करने से पहले उसके शेयरधारकों के बहुमत की सहमति लेना जरूरी है. इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर फंड के ट्रस्टी नियमों को तोड़ते हैं तो मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) को उस मामले में दखल देने का पूरा अधिकार है.
सुप्रीम कोर्ट ने ये अहम आदेश कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर फ्रैंकलिन टेंपलटन की अपील पर सुनवाई करते हुए दिया. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में फ्रैंकलिन टेंपलटन द्वारा अपने निवेशकों के बहुमत की इजाजत लिए बिना 6 डेट म्यूचुअल फंड स्कीमें बंद किए जाने पर रोक लगा दी थी. जिसे कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
मौजूदा आदेश नियमों की व्याख्या तक सीमित है- सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने फैसले में कहा है कि उनका मौजूदा आदेश संबंधित नियम-कायदों की व्याख्या से जुड़ा है. इसमें फ्रैंकलिन टेंपलटन द्वारा बंद की जा रही 6 डेट फंड स्कीम्स के तथ्यों से जुड़े मसले पर कोई विचार नहीं किया गया है. कोर्ट ने कहा कि हमने सिर्फ कानूनी प्रावधानों की व्याख्या की है. इस मामले में हम कर्नाटक हाईकोर्ट के इस नज़रिये से सहमत हैं कि डेट स्कीम्स को बंद करने से पहले मेजॉरिटी शेयर होल्डर्स की सहमति लेना जरूरी है. कोर्ट ने यह भी कहा कि सहमति लेने की यह शर्त नोटिस के पब्लिकेशन के बाद पूरी की जानी चाहिए.
ट्रस्टी नियमों का उल्लंघन करेंगे तो सेबी को दखल देने का हक- सुको
जस्टिस खन्ना ने बेंच की तरफ से फैसला सुनाते हुए यह भी कहा कि अगर फंड के ट्रस्टी नियमों का उल्लंघन करेंगे तो सेबी को उन आरोपों की पड़ताल करने और मामले में दखल देने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि हमने केस के तथ्यों पर अब तक गौर नहीं किया है. उन पर विचार करना अब तक बाकी है. कोर्ट ने कहा कि तथ्यों के बारे में कंपनी और अन्य लोगों की अपील पर सुनवाई अक्टूबर में की जाएगी. मौजूदा आदेश में नियमों की सैद्धांतिक तौर पर व्याख्या की जा रही है. बहुत सारी बातों पर अदालत ने अभी विचार नहीं किया है.
फ्रैंकलिन टेंपलटन ने 6 डेट फंड बंद करने का एलान किया है
सुप्रीम कोर्ट इससे पहले 12 फरवरी को म्यूचुअल फंड स्कीम्स को बंद करने के लिए कराई गई ई-वोटिंग प्रोसेस की वैलिडिटी पर मुहर लगाते हुए कहा था कि फंड्स के यूनिट होल्डर्स को फंड देने का काम जारी रहेगा. उससे पहले 2 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को 9,122 करोड़ रुपये की रकम यूनिट-होल्डर्स में बांटने का आदेश भी दिया था.
फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड ने 23 अप्रैल 2020 को रिडेंप्शन प्रेशर यानी भुगतान के दबाव और बॉन्ड मार्केट में लिक्विडिटी के अभाव को वजह बताते हुए अपनी 6 डेट म्यूचुअल फंड स्कीम्स को बंद करने का एलान किया था. यह 6 स्कीम्स हैं : फ्रैंकलिन इंडिया लो ड्यूरेशन फंड (Franklin India Low Duration Fund), फ्रैंकलिन इंडिया अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड (Franklin India Ultra Short Bond Fund), फ्रैंकलिन इंडिया शॉर्ट टर्म इनकम प्लान (Franklin India Short Term Income Plan), फ्रैंकलिन इंडिया क्रेडिट रिस्क फंड (Franklin India Credit Risk Fund), फ्रैंकलिन इंडिया डायनैमिक एक्रूअल फंड (Franklin India Dynamic Accrual Fund) और फ्रैंकलिन इंडिया इनकम ऑपरच्युनिटीज़ फंड (Franklin India Income Opportunities Fund).
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सुप्रीम कोर्ट की बिहार सरकार को फटकार कहा- गरीब की आजादी अमीर की आजादी से सस्ती नहीं
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