नजरिया. हालांकि, पश्चिम बंगाल ने विधानसभा चुनाव में मोदी टीम को तगड़े सियासी झटके दिए हैं, जिन्हें यदि झेलना आसान नहीं है, तो मोदी टीम के लिए अब पश्चिम बंगाल कोे साधना भी आसान नहीं है!
अब मोदी टीम की ओर से पश्चिम बंगाल में दिखाई गई कोई भी राजनीतिक होेशियारी सीएम ममता बनर्जी को ही फायदा पहुंचाएगी?
ऐसा माना जा रहा था कि ममता बनर्जी को सत्ता से हटाने के लिए कोरोना की आड़ में विधानसभा उप-चुनाव को रोका जा सकता है, लेकिन इससे भी कुछ खास फायदा नहीं होना है, क्योंकि इसका सियासी तोड़ भी तलाशा जा सकता है.
इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि ऐसा किया गया तो ममता बनर्जी को और भी सियासी मजबूती मिलेगी.
इधर, खबरों पर भरोसा करें तो पश्चिम बंगाल में उपचुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है और इसकी तैयारियों के लिए चीफ इलेक्शन ऑफिसर ने डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन ऑफिसर को चिट्ठी लिखी है, जिसमें कूच बिहार, दक्षिण कोलकाता, दक्षिण और उत्तर 24 परगना और नादिया के जिला चुनाव अधिकारियों को राज्य विधानसभा के उप-चुनाव के लिए ईवीएम की जांच शुरू करने के लिए कहा गया है.
याद रहे, बंगाल में खड़दह, समशेरगंज, जंगीपुर, शांतिपुर, भवानीपुर, दिनहाटा और गोसाबा विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव होने हैं. नंदीग्राम में हार का सामना करने वाली सीएम ममता बनर्जी भी भवानीपुर से उप-चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं, क्योंकि सीएम की सीट पर बने रहने के लिए निर्धारित समय के अंदर चुनाव जीतना जरूरी है.
सियासी सयानों का मानना है कि अभी पश्चिम बंगाल में बीजेपी को ठहरो और देखो की रणनीति पर ही चलना होगा, क्योंकि किसी किस्म की भी सियासी होशियारी फायदे के बजाए बड़ा सियासी नुकसान कर सकती है!
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Loading...Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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