पलपल संवाददाता, जबलपुर/भोपाल. मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के खजाने में बढ़ रहे वेतन भत्तों के बोझ को कम करने के लिए अब सरकार फरलो स्कीम ला रही है, जिसके तहत अब कोई भी सरकारी कर्मचारी व अधिकारी पांच साल का ब्रेक लेकर स्वयं का बिजनेस, प्राइवेट नौकरी या फिर देश-विदेश की कंपनी में नौकरी कर सकेगा, इस अवधि में सरकार उन्हे आधा वेतन देगी, उसकी सीनियरिटी भी रहेगी. यह योजना वर्ष 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह लाए थे, लेकिन अब कर्ज के बोझ से दबी जा रही शिवराज सरकार भी इसे लागू करने की तैयारी कर रही है. वित्त विभाग ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है, जल्द ही मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा जाएगा, अंतिम निर्णय सीएम शिवराजसिंह चौहान ही लेगें.
बताया गया है कि आर्थिक संकट से जूझ रही प्रदेश की शिवराजसिंह चौहान सरकार खर्च के बोझ को कम करने के लिए 19 साल वाद कर्मचारियों के वेतन, भत्ते का बोझ कम करने के लिए फरलो (मध्य प्रदेश सिविल सेवा योजना 2002) स्कीम लाने जा रही है, सरकार की वित्तीय हालत बेहद खराब है प्रदेश का जितना बजब् है उससे 8 हजार करोड़ रुपए ज्यादा कर्ज हो चुका है, शिवराज सरकार पिछले 15 माह में 42 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है. सरकार का अनुमान है कि स्कीम का लाभ एक से डेढ़ लाख अधिकारी-कर्मचारी लेंगे. इससे वित्तीय भार सालाना 6 से 7 हजार करोड़ रुपए कम हो जाएगा. वर्तमान में सरकार वेतन-भत्तों पर सालाना करीब 60 हजार करोड़ रुपए खर्च करती है. इसके अलावाए सरकार पर राज्य के कर्मचारियों का केंद्र के समान महंगाई भत्ता देने का दबाव है, क्योंकि कर्मचारी डीए व सातवें वेतनमान के इंक्रीमेंट को लेकर आंदोलन पर उतर आए हैं. प्रदेश भर में ज्ञापन दिए जा रहे हैं. मंत्रालय के कर्मचारियों ने 1 दिन की हड़ताल का ऐलान कर दिया है, जबकि शिवराज सिंह ने हाल ही मेंं उज्जैन में कहा था कि खजाना खाली हो चुका है. सरकार का बजट 2 लाख 41 हजार करोड़ का है, जबकि कर्ज 2 लाख 53 हजार करोड़ रुपए हैं.
ऐसी कुछ है सरकार की योजना-
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि अधिकारियों ने सुझाव दिया है कि फरलो स्कीम के साथ प्रदेश में लागू 20-50 फॉर्मूला कर्मचारी की सेवा अवधि 20 साल अथवा आयु 50 साल पूरी होने पर योग्यता व स्वास्थ्य कारणों से वीआरएस देना, को एक साथ कर्मचारियों के सामने रख दिया जाए. इसका फायदा यह होगा कि कई कर्मचारी 5 साल के लिए छुट्टी पर चले जाएंगे. इस दौरान उन्हें इंक्रीमेंट नहीं देना पड़ेगा. सबसे खास बात यह है कि इसी अवधि में विधानसभा एवं लोकसभा के चुनाव हो जाएंगे. कर्मचारी नाराज नहीं होगा, तो वोट बैंक भी प्रभावित नहीं होगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मध्यप्रदेश में दो चरणों में होगे नगरीय निकाय, तीन चरणों में होगें पंचायत चुनाव, देखें वीडियो
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