फोन में इंस्टॉल हैं ये ऐप तो झटपट कर दें डिलीट, वापस आ गया है Joker वायरस

फोन में इंस्टॉल हैं ये ऐप तो झटपट कर दें डिलीट, वापस आ गया है Joker वायरस

प्रेषित समय :09:18:24 AM / Sat, Jul 24th, 2021

अधिक से अधिक लोग नियमित रूप से इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं, ऐसे में मोबाइल फोन को प्रभावित करने वाले खतरनाक मैलवेयर की घटनाएं तेज गति से बढ़ रही हैं. इस बीच कुख्यात जोकर मैलवेयर वापस आ गया है और कथित तौर पर Google Play store के माध्यम से छिपने होने में कामयाब रहा है.

यह पहली बार नहीं है जब हम जोकर मैलवेयर के बारे में सुन रहे हैं. जोकर जैसे अधिकांश मैलवेयर स्मार्टफोन यूजर्स को प्रभावित करने और उनके पर्सनल डेटा को चुराने, चैट और दूसरे ऐप्स पर जासूसी करने और कभी-कभी डेबिट और क्रेडिट कार्ड डिटेल्स जैसे स्टोर्ड फाईनेंशियल डिटेल चुरा लेने की क्षमता के साथ आते हैं. पिछले उदाहरणों की तरह, जोकर मैलवेयर फिर से Google Play Store के माध्यम से फैलने में कामयाब रहा है.

साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर्स ने पाया है कि मैलवेयर प्ले स्टोर पर कुल 11 एंड्रॉइड ऐप के माध्यम से फैल गया है. यह सबसे पहले ZDNet द्वारा रिपोर्ट किया गया था. इन्फेक्टेड ऐप में ट्रांसलेट फ्री, पीडीएफ कन्वर्टर स्कैनर, फ्री एफ्लुएंट मैसेज, डीलक्स कीबोर्ड जैसे ऐप शामिल हैं.

जोकर मैलवेयर क्या है और यह कैसे काम करता है?

रिसर्चर्स ने पता लगाया है कि ये ऐप 30,000 से अधिक इंस्टॉल प्राप्त करने में कामयाब रहे हैं. ऐसे ऐप्स के बारे में कहा जाता है कि वे फाईनेंशियल धोखाधड़ी करते हैं. Zscaler’s ThreatLabz के रिसर्चर्स ने यह भी पाया है कि ये ऐप अक्सर यूजर्स को प्रोडक्टिविटी, कम्यूनिकेशन और अन्य कामों के लिए जरूरी फीचर्स का लालच देकर धोखा देते हैं. रिपोर्ट बताती है कि Google ने इन सभी 11 ऐप्स को Play Store से हटा दिया है.

पिछले वर्जन के विपरीत, जोकर मैलवेयर का लेटेस्ट और अपडेट वर्जन मोबाइल डिवाइस को संक्रमित करने की एक नई विधि का उपयोग करता है. मैलवेयर URL शॉर्टनर का उपयोग करके मैलवेयर “पेलोड” डाउनलोड करता है, जिसका अर्थ है कि यह TinyURL, bit.ly, Rebrand.ly, zws.im, 27url.cn, जैसे लिंक का उपयोग करता है.

प्ले स्टोर ने जहां इन ऐप्स को प्लेटफॉर्म से हटा दिया है, वहीं चिंताजनक बात यह है कि गूगल की सुरक्षा के बावजूद मैलवेयर बार-बार वापस आ जाता है. रिसर्चर्स ने पाया है कि मैलवेयर प्ले स्टोर पर सबमिट किए गए ऐप्स के लिए अपने इंटरनल बाउंसर चेक का उपयोग करता है और Google Play प्रोटेक्ट का उपयोग करके डिवाइस पर स्कैनिंग भी करता है. रिसर्चर्स ने कहा, “इस विशेष मैलवेयर के बारे में सार्वजनिक जागरूकता के बावजूद, यह अपने कोड, एग्जीक्यूशन मेथड, या पेलोड-रिस्टोर टेक्नोलॉजी में बदलाव के साथ छेड़छाड़ करके Google के ऑफीशियल एप्लिकेशन बाजार में अपना रास्ता खोजता रहता है.”

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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