पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश के ग्राम बिजौरी जिला दमोह में रहने वाले नाबालिग को घर से इसलिए भगा दिया गया, क्योंकि वह एचआईवी पीडि़त है, अपनों के ठुकराए जाने के बाद नाबालिग बस स्टेंड पहुंचा, वहां पर चालक व परिचालक ने बस में नहीं बिठाया तो वह पीछे लटककर जबलपुर पहुंचा. मेडिकल अस्पताल पहुंचने पर नाबालिग ने डाक्टरों को अपनी बीमारी के बारे में जानकारी दी, नाबालिग को मोक्ष संस्था ने सहारा दिया है.
बताया गया है कि ग्राम बिजौरी में रहने वाले नाबालिग के माता-पिता का करीब 12 वर्ष पहले निधन हो गया था, इसके बाद से वह गांव में अपने घर में दादी के साथ रहने लगा. पिछले कुछ समय से नाबालिग की तबियत खराब रहने लगी, स्थानीय स्तर पर इलाज कराया लेकिन कोई लाभ नहीं मिला तो जिला अस्पताल पहुंचकर जांच कराई तो एचआईवी पाजिटिव निकला, नाबालिग के एचआईवी पाजिटिव होने की जानकारी मिलते ही दादी, चाचा, चाची सहित परिवार के सभी लोगों के व्यवहार में परिवर्तन आ गया, नाबालिग को कोई अपने पास नहीं बिठाता, उसे दूस से खाना दिया जाने लगा, यहां तक कि चाचा ने पिछले दिनों यह कहकर घर से निकाल दिया कि घर में नहीं रखा जा सकता है.
अपनों के ठुकराए जाने के बाद नाबालिग घर से निकलने पैदल दमोहनाका स्थित बस स्टेंड पहुंचा, जहां पर बस चालक व परिचालक से जबलपुर ले चलने के लिए कहा लेकिन रुपया न होने के कारण उसे बस में पीछे लटककर आना पड़ा, जबलपुर पहुंचने के बाद भूखा प्यासा नाबालिग पैदल ही मेडिकल अस्पताल पहुंचा और मोक्ष संस्था के आशीष ठाकुर से संपर्क किया, आशीष ने नाबालिग को सहारा दिया, इसके बाद नाबालिग को मेडिकल अस्पताल में भरती कराया गया है, आशीष ठाकुर का कहना है कि एचआईवी छुआछूत की बीमारी नहीं है, ऐसे लोग स्नेह व अपनेपन के हकदार है, नाबालिग का इलाज कराने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएगें.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एमपी के दमोह उपचुनाव में ड्यूटी के दौरान 200 शिक्षक हुये कोरोना संक्रमित, अब तक 17 की मौत
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