नेहरू का सबसे बड़ा अपराध? गुजरात में पैदा नहीं होना!

नेहरू का सबसे बड़ा अपराध? गुजरात में पैदा नहीं होना!

प्रेषित समय :21:50:58 PM / Sat, Aug 21st, 2021

प्रदीप द्विवेदी. पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के नेहरू को लेकर परस्पर विरोधी सियासी नजरिए ने एक बार फिर राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है!

पीएम नरेंद्र मोदी अपनी लाईन बड़ी दिखाने के लिए विरोधियों की लाईन छोटी करने की सियासत करते रहे हैं और अपनी हर कमी, हर नाकामयाबी के लिए 70 साल को जिम्मेदार भी ठहराते रहे हैं, यह बात अलग है कि इन 70 वर्षों में बीजेपी के ही प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी सहित स्वयं पीएम मोदी के भी कुछ साल शामिल हैं!

इतना ही नहीं, नेहरू के नकारात्मक जिक्र के बगैर मोदी टीम के प्रवक्ताओं की भी टीवी पर बहस पूरी नहीं होती है?

जाहिर है, जहां पीएम मोदी के सियासी निशाने पर नेहरू रहे हैं, वहीं उन्हीं के मंत्रिमंडल के प्रमुख मंत्री नितिन गडकरी ने उन्हें राजनीति का आदर्श आईना दिखाया है!

खबर है कि केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि- जवाहर लाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय लोकतंत्र के आदर्श पुरुष थे. गडकरी ने कहा कि सत्तारूढ़ दल और विपक्ष में बैठे लोगों को आत्मपरीक्षण करना चाहिए और गरिमा के साथ काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि नेहरू हमेशा वाजपेयी जी का सम्मान करते थे और कहते थे कि विपक्ष जरूरी है.

हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज नेशन’ की ओर से आयोजित कार्यक्रम में गडकरी का कहना था कि वाजपेयी और नेहरू, दोनों कहते थे कि मैं अपनी लोकतांत्रिक मर्यादा का पालन करूंगा. उन्होंने यह भी कहा कि एक सफल लोकतांत्रिक देश में मजबूत विपक्ष जरूरी है.

इसके बाद बॉलीवुड के एक्टर केआरके ने ट्वीट किया- नितिन गडकरी जी ने नेहरू जी की तारीफ करते हुए कहा- हम सभी को नेहरू जी से सीख लेनी चाहिए. सब ठीक तो है ना!

कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति को उस व्यक्ति पर सबसे ज्यादा गुस्सा आता है, जो लाईन में उसके आगे खड़ा हो!

विश्व में महात्मा गांधी का सबसे ज्यादा सम्मान है, लेकिन बतौर राजनेता नहीं, बल्कि महान विश्वनेता के रूप में वे सदैव स्मरणीय रहेंगे.

परन्तु, बतौर राजनेता तो भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ही सबसे आगे हैं और आगे ही रहेंगे. यही वजह भी है कि पीएम मोदी के लिए पं. नेहरू परेशानी का सबब रहे हैं.

नेहरू, नेहरू थे, कोई मुखौटा नहीं था. वे सहज ही बच्चों के लिए चाचा नेहरू थे. इसके लिए उन्हें न तो परीक्षा पे चर्चा करनी पड़ती थी और न ही बाल मित्रों को संबोधित करने की जरूरत थी.

नेहरू को गुटनिरपेक्ष आंदोलन ने जो प्रतिष्ठा दी, वह हासिल करना भी आसान नहीं है. यह सोशल मीडिया पर हंगामे से या न्यूज चैनल के प्रायोजित सर्वे से प्राप्त नहीं की जा सकती है और न ही बगैर कोई महान कार्य किए यह विश्व के इतिहास में दर्ज करवाई जा सकती है.

उल्लेखनीय है कि गुटनिरपेक्ष आंदोलन राष्ट्रों की एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है. यह आंदोलन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति गमाल अब्दुल नासिर और युगोस्लाविया के राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज टीटो ने शुरू किया था, जिसकी स्थापना अप्रैल 1961 में हुई थी. हालांकि, इसे बनाने का विचार 1950 में आया था. संयुक्त राष्ट्र संघ के बाद देश की सदस्यता के मामले में गुटनिरपेक्ष आंदोलन विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है.

पीएम मोदी ने विश्व में अपनी इमेज बनाने के लिए कई प्रयास किए हैं, अच्छी बात है, लेकिन इसके लिए जो वास्तविक कार्य करने थे, सही कदम उठाए जाने चाहिए थे, वे कभी नहीं उठाए.

बहरहाल, विश्व के इतिहास में अपनी स्थाई प्रतिष्ठित जगह प्राप्त करना किसी राज्य के चुनाव जीतने जैसा आसान नहीं है, अच्छा होगा यदि पीएम मोदी इस ओर गंभीरता से ध्यान दें, क्योंकि नेहरू की नकल करके, उनके जैसे कपड़े पहनने से, विश्वनेताओं से मिलने से, उनकी जैसी लाइफ स्टाइल अपनाने से कोई जवाहरलाल नहीं हो जाता है.

पीएम मोदी का देश के महान नेताओं को लेकर भी पक्षपात पूर्ण नजरिया रहा है, देश जानता है कि सारे निर्णय नेहरू और सरदार पटेल, दोनों के संयुक्त निर्णय थे, लेकिन उन्होंने कुछ फैसलों के लिए केवल नेहरू को ही जिम्मेदार ठहराया, क्यों?

सियासी सयानों का मानना है कि पं. नेहरू का सबसे बड़ा अपराध था- गुजरात में पैदा नहीं होना?

यदि वे गुजरात में जन्म लेते तो साहेब इतना विरोध नहीं करते, बल्कि राजनीतिक फायदे के लिए उनकी भी सरदार पटेल जैसी बड़ी-सी मूर्ति लगवा देते, भले ही काम निकल जाने के बाद उनके नाम के स्टेडियम को अपने नाम करवा लेते!
https://twitter.com/kamaalrkhan/status/1428685524735172614
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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